Magician superstar Sikander, who makes people laugh on stage, is in pain, has to endure a lot:रीवा। जादू भारत की अनुपम सांस्कृतिक धरोहर और एक श्रेष्ठ लोकरंजक कला है, जिसे हर स्तर पर सहयोग और सरंक्षण की जरूरत है। लेकिन आज के दौर में इस कला को संरक्षित करने के बजाय लोग अपने आर्थिक लाभ के लिए इस कला को परेशान करने का काम करते हैं। इतना ही नहीं इस कला को आम जन तक पहुंचाने के लिए एक जादूगर को उन कठिन परिस्थियों का सामना करना पड़ता है, जो शायद किसी क्षेत्र में नहीं है।
आर्थिक लाभ के लिए लोग जादूगरों को बढ़ावा देने की बजाय उनका दोहन करना शुरू कर देते हैं, जिससे यह कला अब दम तोड़ती जा रही है। उक्त बातें रीवा में अपनी जादूगरी दिखाने पहुंचे जादूगर सुपर स्टार सिकन्दर ने कहीं, उन्होंने कहा कि आज अधिकांश फिल्में ऐसी बन रही हैं, जिसे सपरिवार नहीं देखा जा सकता है पर मैजिक शो एक स्वस्थ पारिवारिक शो होता है। जिसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्त समाज, जल बचाओ जीवन बचाओ जैसे अनेक सामाजिक संदेश भी मंच से दिए जाते हैं।
जादूगर सिकन्दर ने बताया कि उन्हें हमेशा से शासन, प्रशासन, मीडिया और कलाप्रेमी दर्शकों का भरपूर स्नेह सहयोग मिलता आया है। इस बीच में कुछ ऐसे लोग भी मिले हैं जो चंद आर्थिक लाभ के लिए लोगों को भ्रमित करने की धमकी देकर रुपए ऐंठने का प्रयास भी करते हैं। हालांकि ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि जादूगर का भी एक दायरा है और वह उसमें ही रहकर आगे कार्य कर सकता है।
जादूगर सिकन्दर ने बताया कि विदेशों में मैजिक को गणित और विज्ञान जैसे नीरस विषय में बच्चों की अभिरुचि बढ़ाने और उन विषयों को पढ़ाने समझाने हेतु जादूगरों की सेवाएं ली जाती हैं, जबकि भारत में आज भी जादू कलाकारों को तरह तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिसने सबसे बड़ी दिक्कत विज्ञापन से ही जुड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया कि कभी देश में 195 सर्कस थे, सौ से अधिक जादू शो थे जो अब उंगली पर गिनने लायक रह गए हैं, क्योंकि जादू और सर्कस के अयोजन में भारी खर्च होता है। दर्जनों लोगों की जीविका जुड़ी होती है जो अब बढ़ते खर्चों के भार को सहने में असमर्थ हो चला है।
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