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शहीदाने कर्बला हज़रत इमाम हुसैन रज़ि. व 72 जानिशार साथियों की याद में मनाया जाने वाला यौमे आसूरा मोहर्रम पूरे प्रदेश के साथ-साथ विन्ध्य क्षेत्र में भी 29 जुलाई को मनाये जाने का निर्णय उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी रीवा की बैठक में लिया गया, मीटिंग की अध्यक्षता कमेटी संस्थापक मो0 शुऐब खान ने की, जबकि ऑल इण्डिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के जिला अध्यक्ष मुस्तहाक खान विशेष रूप से उपस्थित रहें। मोहर्रम का चॉद दिखते ही 1445 हिजरी का आगाज हो गया। कमेटी ने समस्त विन्ध्यवासियों को नये वर्ष की मुबारकबाद दी है।
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n उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी रीवा के संस्थपक मोहसिन खान, राष्ट्रीय अध्यक्ष मो0 मखदूम खान एवं मीडिया प्रभारी अजहरूद्दीन खान ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया है कि मोहर्रम की पहली तारीख 20 जुलाई को हुई, इस लिहाज से यौमे आसूरा मोर्हरम 29 जुलाई को मनाया जायेगा। मोहर्रम की पहली तारीख को इस्लाम के दुसरे खलीफा अमीरूल मोमिनीन हज़रत उमर फारूख रजि0 अन्हो की शहादत हुई थी, इनका इंसाफ पूरी दुनिया में बेमिशाल है। इस्लामी वर्ष यानी हिज़री सन् का पहला महीना है, हिज़री सन् का आगाज़ इसी महीने से होता है, इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों मे शुमार किया जाता है। इस्लाम का पहला महीना कुर्बानी से शुरू होकर आखरी महीना जिलहिज्जा कुर्बानी से समाप्त होता है, इन महीनों का अलग-अलग महत्व है।
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मोहर्रम की 9 एवं 10 तारीख को रोज़ा रखा जाता है, जो रमज़ान के रोज़ो के बाद इस रोज़े की बड़ी अहमियत है। मोहर्रम के 10 तारीख को गरीबों को दानपुण्य करना चाहिये, गरीबों, यतीमों, मिस्कीनों को अच्छा से अच्छा भोजन कराना चाहिये व बीमारों की अयादत करने का हुक्म है, साथ ही यौमे आसूरा के दिन नफिल नमाज़ पढ़ने का बड़ा सबाब है। मोहर्रम की 10 तारीख को कर्बला का दर्दनाक वाक्या पेश आया, जिसमें हुजूर पाक सल्ल. के प्यारे नवासे हज़रत इमाम हुसैन रज़ि0 को ईराक स्थित कर्बला के मैदान में शहीद कर दिये गये थें। कर्बला की घटना अपने आप में बड़ी विभत्स और निन्दनीय है।
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हज़रत इमाम हुसैन रज़ि0 अपने नाना जान के उम्मत के लिये नमाज़ की हालत में सजदे में अपनी गर्दन न्योछावर कर दी। इस घटना से पूरी दुनिया में एक नये सिरे से सत्य का जन्म हुआ, क्योंकि ये जंग न तख्तोताज के लिये थी और न मालोज़र के लिये थी, बल्कि ये जंग हक व इंसाफ की जंग थी। इमाम हुसैन ने असत्य के सामने झुकने के बजाय सत्य के लिये अपनी जान देना मुनासिफ समझा और अपनी गर्दन कटा दी और रहती दुनिया तक के लिये अपने पीछे एक पैगाम छोड़ गये कि सत्य कभी असत्य के सामने नही झुकता, ये मिसाल अपने आप मे बेमिसाल और बेनज़ीर है जिसकी दुनिया में कहीं मिसाल नही मिलती। हमे इस महीने की कद्र करते हुये इमाम हुसैन के बताये हुये रास्ते पर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिये।
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कमेटी के संस्थापक मो0 शुऐब खान, एवं मोहसिन खान, जिला संयोजक साबिर खान अशरफी, अपाध्यक्ष मो0 मखदूम खान, सचिव मुस्तहाक खान, मो0 एहसान, इस्लाम अहमद गुड्डू, गुल मोहम्मद अंसारी, मीडिया प्रभारी अजहरूद्दीन खान, इसरार अहमद खान, लईक अशरफी, वाइज अशरफी, सुहैल अशरफी, सईद अशरफी, वहाबुद्दीन खान, माजिद खान, राशिद खान, वाजिद खान, अयूब खान, जान मोहम्मद खान, शाहिद खान, गुलाम मोहम्मद, मो0 हसीब खान राज, मौलाना गुलाम मुजतबा अशरफ, मो0 हासिम आदि ने जिला प्रशासन से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में एवं जिन जगहो पर ताजिया रखी जाती है उन जगहो ंपर विशेष साफ सफाई, प्रकाश, पानी एवं नालियों में कीटनाशक दवॉइयों की छिडकाव करने की मांग की है।
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