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n रीवा। n रीवा में सड़कों का जाल बिछाया गया। 1600 करोड़ नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण पर खर्च हुआ। टोल जबरन वसूला जा रहा लेकिन सड़कें खराब हो गई हैं। इन्हें सुधारा नहीं जा रहा। खराब सड़कें अपनों की जान ले रही हैं। हर दिन सड़कें खून से लाल हो रही हैं। कुछ बीओटी में बनी कुछ में सरकार ने खर्च किया। दोनों की हालत एक जैसी है। टोल कंपनियां मनमानी पर उतारू हैं।n
n रीवा में कुछ साल पहले सड़कों की हालत खराब थी। सड़कें चलने लायक नहीं थी। यहां से गुजरने वाली नेशनल हाइवे भी खस्ता हाल थी। सरकार ने इन सड़कों को सुधारने के लिए बीओटी पैटर्न पर टेंडर निकाला। एमपीआरडीसी को निर्माण एजेंसी बनाया गया। केन्द्रीय भूतल परिवहन ने कंपनियों को बीओटी में काम सौंपा। वर्ष 2013 में तीन सड़कें रीवा की फाइनल हुई। काम शुरू हुआ लेकिन इनका निर्माण पूरा नहीं हो पाया। निर्माण करने वाली ठेका कंपनियां सड़क का काम बीच में ही छोड़ कर भाग गई। सिर्फ रीवा से हनुमना तक की सड़क का काम पूरा हुआ। दूसरी सड़क रीवा से सीधी रही। इसमें सरकार ने फंडिंग की। वहीं मनगवां से चाकघाट सड़क को दोबारा रिटेंडर कर बनवाया गया। अब सारी सड़कें बन कर तैयार हैं। निर्माण के बाद लागत वसूलने के लिए 25 साल का टोल बैठाया गया है। वसूली भी शुरू हो गई हैं। नियम बनाया गया कि जो टोल वसूलेगा वहीं सड़क बनाएगा। हालांकि रीवा में ऐसा नहीं हो रहा हैं। कंपनियां वाहन चालकों से टोल तो वसूल रही हैं लेकिन सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं है। यही वजह है कि खराब सड़कें अब जी का जंजाल बन गई है। कोई भी नेशनल हाइवे चलने लायक नहीं है। इन सब के परखच्चे उड़ गए हैं। पैचवर्क से काम चल रहा है।n
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n रीवा से हनुमना की सड़क सबसे खतरनाकn
n बीओटी पैटर्न पर रीवा से हनुमना सड़क बनाई गई। यह सड़क सबसे पहले बन कर तैयार हुई। जोगिनहाई में टोल की वसूली भी शुरू हो गई। इसका काम विंध्याचल एक्सप्रेस वे के पास है। करीब 736 करोड़ से इस सड़क का निर्माण हुआ लेकिन अब यह सड़क चलने लायक नहंी है। इस पर स्मूथनेस नाम की कोई चीज ही नहीं है। पूरी सड़क पैचवर्क पर टिकी हुई है। डामर जगह जगह धंस गई है। सड़क कई हिस्सों में बंटी है। दुर्घटना की आशंका बढ़ गई है। सुधार पर कोई काम नहीं हो रहा है। सड़क निर्माण में पेड़ों की कटाई हुई लेकिन दोबारा लगाया नहीं गयाn
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n मनगवां सड़क विवादों में फंसीn
n मनगवां से चाकघाट तक की सड़क करीब 7 साल में बन कर तैयार हुई। 52.1 किमी की सड़क का निर्माण बंसल पाथवे ने किया। 410 करोड़ रुपए खर्च किए गए। बंसल ने निर्माण के बाद टोल वसूली भी शुरू कर दी लेकिन यह नेशनल हाइवे मौत का हाइवे बन गया है। सड़क के कई जगहों पर परखच्चे उड़ गए हैं। सोहागी पहाड़ के निर्माण पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आए दिन जांच हो रही है लेकिन नतीजा शून्य हैn
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n कांक्रीट सड़क भी धंसने लगी हैn
n रीवा से सीधी तक करीब 259 करोड़ से सड़क बनाई गई। पूरी सड़क कांक्रीट बनाई गई। दिलीप बिल्डकान ने निर्माण किया। एनएचएआई निर्माण एजेंसी थी। इस सड़क का जीरो प्वाइंट गुढ़ चौराहा था। शहर के अंदर तक सड़क का निर्माण किया गया। नाला और पाथ वे भी बनाया गया। अब सब कुछ गायब है। कांक्रीट सड़क जगह जगह धंसने और फटने लगी है। इस मार्ग में भी टोल वसूली जारी है।n
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n रिंग रोड में उड़ती है धूलn
n शहर के अंदर से एनएच को हटाकर बाहर कर दिया गया। करीब रिंग रोड फेज वन वर्ष 2015-16 में बनाया गया। इसका निर्माण अगरोहा इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने किया। सड़क का मेंटीनेंस भी इसी कंपनी को करना है। लेकिन मेंटीनेंस पर ध्यान नहीं है। सड़क बनाने के बाद कंपनी सिफ टोल वसूली में लगी है। इस सड़क पर सिर्फ धूल ही धूल उड़ रही है। इस 9 किमी लंबे रिंग रोड को बनाने में करीब 74 करोड़ रुपए खर्च किए गए।n
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n यह भी सड़क होने लगी है खराबn
n हाल ही में रीवा से सिरमौर तक एनएच 135 बी सड़क का निर्माण कराया गया है। शहरी क्षेत्र में कांक्रीट सड़क बनाई गई है। यह भी बनने के साथ ही विवादों में रही। गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए। मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 2 के सामने सड़क धंस गई थी। वर्तमान में भी धंस गई है। इसके अलावा भी सिरमौर तक सड़क कई जगहों पर धंसी हुई है। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ गई हैn
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