रीवा। गर्मी शुरू होते ही जंगल सुलगने लगा है। आग का तांडव जारी है। दो दिनों से सेमरिया के जंगल जल रहे हैं। ककरेड़ी और मैनहा में दो दिन बाद भी आग पर कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। वन विभाग फिर लाचार बना हुआ है।
nहर साल हजारों हेक्टेयर जंगल आग में खाक हो जाते हैं। वन विभाग इन पर कंट्रोल करने की कोई योजना नहीं बना पाया। जंगल काट कर आग बुझाने पर ही अब भी अमल चल रहा है। इसके लिए भी वन विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। यही वजह है कि आग जंगलों को साफ करते जा रहा है। गर्मी ने अभी अपना असर दिखाना शुरू ही किया है कि जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई है। दो दिन से सेमरिया और मऊगंज के कई बीट में आग भड़की हुई है। इसका दायरा बढ़ते जा रहा है। फिर भी वन विभाग का अमला एलर्ट नहीं हो पाया है। 48 घंटे बाद भी आग धधक रही है। धीरे धीरे आग की लपटे और भी हिस्सों को अपने चपेट में ले रही हैं।
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nइन क्षेत्रों में लगी है आग
nसेमरिया में कटाई बीट, मैनहा, ककरेड़ी वेस्ट बीट, मऊगंज ब्लाक में शिवराजपुर बीट में आग लगी हुई है। इसके अलावा नईगढ़ी क्षेत्र के बहुती जंगल में भी दो दिनों से आग लगी हुई है। जंगल जलकर खाक हो रहा है। इसकी सूचना भ्ज्ञी वन विभाग को दी गई लेकिन इसे पर काबू पाने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। इस आग से बेसकीमती लकडिय़ां और तेंदूपत्ता को नुकसान पहुंचा है।
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nतेंदूपत्ता को पहुंचेगा नुकसान
nआग की चपेट में जंगल आ रहे हैं। ऐसे में इसका असर तेंदूपत्ता की क्वालिटी और तोड़ाई पर भी पड़ेगा। साखकतरन के बाद अब अगले महीने से ही जंगलों में तेंदूपत्ता की तोड़ाई भी शुरू हो जाएगी। पेड़ में पत्ते वैसे भी ज्यादा अच्छे नहीं आए हैं। उस पर जंगल में भड़की आग इन्हें और नुकसान पहुंचा देगी। आग के कारण तेंदूपत्ता कलेक्शन पर भी असर पड़ेगा।
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nवनजीवों को भी नुकसान
nहर साल जंगल में आग भड़कती है। इस पर काबू पाने के लिए वन विभाग तुरंत एक्टिव नहीं होता। काफी नुकसान होने के बाद ही एलर्ट होता है। इनके पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं है। वन क्षेत्रों में पानी संग्रहण की भी व्यवस्था नहीं है। आग के रास्ते को काट कर इस पर काबू पाया जाता है। या फिर टहनियों से आग को पीट कर बुझाया जाता है। इसके अलावा कोई भी इंतजाम नहीं है। आग भड़कने से वन क्षेत्रों में रहने वाले छोटे जीव भी मरते हैं। शाकाहारी जीवों का भोजन प्रभावित होता है। आग के डर से शहर की तरफ भागते हैं और मारे जाते हैं।
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