रीवा। दिल्ली के उपरांत पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी का जोर बढ़ा है। गुजरात चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी कम सीटों पर ही काबिज हो पायी हो लेकिन उसका जनाधार बढ़ा है। कई सीटों में हार-जीत के अंतर के करीब भी पहुंची थी। इधर कर्नाटक चुनाव से भले ही आप पार्टी दूरी बनाए रखी लेकिन 2023 में तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में वह तटस्थ है। आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों में चुनाव लडऩे के ऐलान के साथ ही संगठनात्मक मजबूती के लिए गतिविधि भी तेज कर दी है। रीवा के संदर्भ में बात करें तो पिछले निकाय चुनाव से लगातार पार्टी की सक्रियता में बढ़ोतरी हुई है। सामयिक मुद्दों के साथ ही विधायकों की कार्यप्रणाली पर कांग्रेस-बसपा की अपेक्षा आम आदमी पार्टी ज्यादा आवाज उठा रही है। रीवा, सेमरिया, सिरमौर, मऊगंज, त्योंथर, गुढ़ में आम आदमी पार्टी की कई बड़ी सभाएं भी हुईं हैं। जिसमें स्थानीय लोगों की तादात भी काफी रही।
nदेखा यह जा रहा है कि जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं की धमक भी तेज हुई है। अभी हाल में पंजाब के विधायक दिनेश चड्ढा संभागीय दौरे पर रहे। उनके कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों ने जिस तरह से बढ़-चढ़ कर भाग लिया, उससे भाजपा और कांग्रेस की टेंशन बढ़ी है। आप का बढ़ता कुनबा भाजपा-कांग्रेस के विजय रथ को प्रभावित कर सकता है। जिले की 50 फीसदी विधानसभा सीटों में आम आदमी पार्टी की भूमिका निर्णायक हो सकती है। भले ही आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटें हासिल न कर पाए लेकिन किसी पार्टी के पक्ष में स्पष्ट रुझान मिलने की संभावना को कमजोर कर देगी।
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nबसपा कमजोर, तीसरा विकल्प बनी आप
nजिले में भाजपा की जड़ें कमजोर होने से आम आदमी पार्टी तीसरे विकल्प के रूप में उभरी है। बसपा दिनों-दिन कमजोर होती नजर आ रही है। पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की सक्रियता नगण्य है। सेमरिया विधानसभा को छोड़ कर अन्य विधानसभा क्षेत्रों में बसपा कमजोर ही नजर आ रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा कांग्रेस को नापसंद करने वाले मतदाताओं के लिए आम आदमी पार्टी विकल्प के रूप में नजर आ रही है।
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nसमाज विशेष के नेताओं की पसंद आप
nजिले की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाला कुर्मी समाज जिधर जाता है उधर परिणाम निर्णायक होता है। बसपा का रीवा में अभ्युदय भी कुर्मी समाज के धु्रवीकरण से हुआ था। पिछले एक दशक से इस समाज का झुकाव भाजपा की ओर था। लेकिन मौजूदा समय में कुर्मी समाज का झुकाव आम आदमी पार्टी के ओर बढ़ा है। यों कहिए कि कुर्मी समाज की पसंद आप है। यदि संगठित होकर यह समाज आप के साथ जुड़ गया तो परिणाम चौंकाने वाले होंगे।
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