रीवा। जिले में लगभग एक दशक हो रहे हैं लेकिन कलेक्टर दर पर न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण नहीं किया जा सका है। जिले में कलेक्टर दर पर न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण नहीं हो पाने से शासकीय कार्यालयों समेत विभिन्न संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। इस दौरान अन्य क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में कई मर्तबा वृद्धि हो चुकी है। न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के सम्बंध में ई-उपार्जन /पैक्स कंप्यूटर आपरेटर संघ के प्रदेशाध्यक्ष योगेन्द्र पाण्डेय ने कलेक्टर का पत्र लिखा है। कलेक्टर को संबोधित पत्र में कहा गया है कि शासन के निर्देशासनुसार सभी कम्प्यूटर आपरेटर उपार्जन केन्द्रों में एवं संस्था में कार्य कर रहे है, जिन्हें नौ साल पूर्व सन् 2014 में निर्धारित किये गये कलेक्टर दर पर वेतन दिया जाता है।
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एक अप्रैल 23 से निर्धारित की गई कलेक्टर दर के अनुसार अकुशल श्रमिक को प्रतिमाह 9650 रुपये, कुशल श्रमिक को 11885 रुपये तथा उच्च कुशल श्रमिक को 13185 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। पत्र में कहा गया है कि आखिरी बार वर्ष 2014 में कर्मचारियों के लिये न्यूनतम वेतन घोषित किया गया था। इसके पश्चात पिछले 9 साल से न तो कोई रिवीजन किया गया और न ही 8 घंटे के काम को लागू किया गया। जिले में सेल्स प्रमोशन एम्पलाईज एक्ट 1976 का पालन नहीं किया जा रहा है। कलैक्टर दर का पुनरीक्षण नहीं होने से न्यूनतम मजदूरी आज के महंगाई को देखते हुये बहुत ही कम है। इससे परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है। कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। पत्र में कहा गया है कि यदि न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण लागू हो जाये तो सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 15000 रु से ऊपर हो जायेगा। और इस राशि से कर्मचारियों एवं उनके परिवार का भरण पोषण हो सकेगा।
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