सीधी. जिले में भारतीय जनता पार्टी में मची आपसी खींचातानी के चलते पार्टी की अच्छी खासी किरकिरी हो रही है। अपने ही अपनों की लुटिया डुबाने में लगे हैं। सीधी विधानसभा में पार्टी की अंदरूनी लड़ाई ने सभी सीमा लांघ चुकी है। सीधी विधायक पंडित केदानाथ शुक्ला की टिकट कटाने के लिए पार्टी के कद्दावर नेताओं से लेकर स्थानीय कार्यकर्ता भी लामबंद हो गए हैं। भाजपा के द्वारा कराए गए सर्वे में जिले की एकमात्र विधानसभा सीट सीधी जहां की पार्टी की स्थिति काफी मजबूत बताई गई थी। इस बात की जानकारी लगते ही सीधी विधायक का अनभल चाह रहे पार्टी के ही विरोधी खेमा काफी सक्रिय हो गया है। जिले में सबसे ज्यादा नेता सीधी विधानसभा क्षेत्र से ही विधानसभा तक पहुंचने की इच्छा संजोए हुए हैं। उनकी इच्छा पंडित केदारनाथ शुक्ल की टिकट कटने के बाद ही पूरी हो सकती है। इसीलिए एन-केन-प्रकरेण षणयंत्र साजिश रचते हुए भाजपा की किरकिरी करा रहे हैं। जिसके चलते पार्टी हाई कमान सीधी विधायक का टिकट काट दे और उन्हें टिकट मिल जाए। वर्तमान समय में सीधी विधानसभा क्षेत्र की आम जनता में सीधी विधायक के प्रति असंतोष हो या न हो लेकिन भाजपा के पदाधिकारियों एवं नेताओं में व्यापक असंतोष देखने को मिल रहा है।
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बताया जा रहा है कि भाजपा जिला अध्यक्ष को छोंडकर जिले स्तर का कोई भी नेता सीधी विधायक के पक्ष मेंं दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में भाजपा की नैया विधानसभा चुनाव में कैसे पार होगी। इसकी चर्चा जोरों-शोरों से हो रही है। जिस तरीके से पेशाब कांड को वायरल कर सीधी विधायक की छवि धूमिल करनें का जो प्रयास किया गया है उसका खास असर जिले में दिखाई नहीं देता। धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होती जा रही है। इस पूरे प्रकरण का न तो आदिवासी समाज से कोई लेना-देना है और न ही आम जनता का। उक्त पूरे प्रकरण से आरोपी के पिता का घर बुल्डोजर से ध्वस्त किए जाने को लेकर जरूर चल रही है और जिले के ब्राम्हण संगठन इस बात को लेकर हवा देते नजर आ रहे हैं और इस पूरे प्रकरण से सरकार का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
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nसीधी विधानसभा में विपक्ष की भूमिका में सत्तापक्ष
nविगत साढ़े चार वर्षों में कांगे्रस पार्टी के द्वारा सीधी विधानसभा क्षेत्र में केदारनाथ शुक्ल सीधी विधायक का कहीं भी विरोध नहीं किया गया। सीधी विधायक भी कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओं को विद्वेषपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं कराई है। यहां सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेता सौहार्दपूर्वक सद्भावना के साथ अपनी-अपनी पार्टी के लिए काम करते नजर आते हैं। एक-दूसरे के प्रति छींटाकसी व आरोप-प्रत्यारोप करते नजर नहीं आए बल्कि सीधी विधायक पर अब तक जो भी आरोप लगे हैं उसमें पार्टी के ही नेता सामने आए हैं चाहे वह आदिवासियों की भूमि का मामला हो या फिर अन्य
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nसीधी विधानसभा क्षेत्र से सांसद रीती पाठक को टिकट दिलानें के लिए एवं विधानसभा चुनाव लड़ाने हेतु पार्टी का एक धड़ा काफी दिनों से सक्रिय दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि केदारनाथ शुक्ला का विकल्प सांसद रीती पाठक ही बन सकती हैं। भाजपा के ही कुछ नेता संासद रीती पाठक को विधानसभा चुनाव लड़ाकर सांसद की सीट खाली करानें की भी मंशा संजोए हुए हैं। हालांकि रीती पाठक के द्वारा अभी तक विधानसभा चुनाव लडऩे की न तो बात कही गई है और न ही कहीं दावेदारी करनें की बात ही सामने आई है। मीडिया से चर्चा करते हुए रीती पाठक ने बताया था कि विधानसभा चुनाव लडऩे की उनकी कोई मंशा नहीं है। पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपेगी उसका ईमानदारी से निर्वहन करेंगी। इसके बाद भी उनके नाम की चर्चा सीधी विधानसभा एवं सिहावल विधानसभा के लिए की जा रही है।
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nसीधी विधानसभा क्षेत्र का भारतीय जनता पार्टी के प्रत्यासी बने इच्छुक नेतागण दिल्ली भोपाल एक किए हुए हैं और अपनी दावेदारी मजबूत करनें में जुटे हैं। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा से पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ. राजेश मिश्रा को प्रमुख दावेदार बताया जा रहा है। डॉ. राजेश मिश्रा विगत कई वर्षों से सीधी विधानसभा का निरंतर भ्रमण कर पार्टी संगठन एवं आम जनता से जुडे हुए हैं। विधानसभा क्षेत्र भर मे गांव-गांव स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर गरीब जनता में अपनी पैठ बनानें में जुटे हैं। सीधी विधानसभा क्षेत्र के पार्टी की ओर से अन्य दावेदारों में भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष इंद्रशरण सिंह, युवा नेता विश्वबंधुधर द्विवेदी, महिला नेत्री पूनम सोनी आदि शामिल हैं। उधर पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंडित केदारनाथ शुक्ला के टिकट काटना इतना आसान नहीं है। यदि उनकी टिकट कटती है तो उनके स्थान पर उनके पुत्र भाजपा युवा नेता गुरुदत्त शरण शुक्ला को पार्टी अपना प्रत्यासी बना सकती है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो भाजपा से सीट खिसक सकती है। आगे स्थिति जो भी हो लेकिन सीधी विधानसभा क्षेत्र से टिकट के लिए षणयंत्र एवं साजिश की दौड़ जारी है।