रीवा। नगर निगम प्रशासन द्वारा बीते 7 वर्षों से की जा रही कवायद आखिरकार पूरी हो गई। बुधवार को राजधानी से पहुंचे दो सदस्यीय दल ने नगर निगम को गैस शवदाह गृह चलाने की अनुमति दे दी है। उन्हें निरीक्षण में सब कुछ सही मिला और उन्होंने निगम अधिकारियों को इसका संचालन करने के लिए कहा है। बुधवार को करीब दो से तीन घंटे तक निरीक्षण किया। बता दें कि नगर निगम द्वारा बंदरिया श्मसान घाट में गैस शवदाह गृह का निर्माण 72 लाख रुपए की लागत से कराया गया था, जिसको शुरू करने के लिए शासन द्वारा निरीक्षण करने दल राजधानी से भेजा गया था। दल में मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट आफ टेक्रालॉजी भोपाल से मैकेनिकल विभाग के विभाध्यक्ष डॉ.दीक्षित व प्रोफेसर डॉ.नेमा पहुंचे थे। उनके द्वारा शवदाह गृह का निरीक्षण बारीकी से किया गया। जहां कमियां थीं, वहां अधिकारियों को निर्देशित भी किया गया। टीम ने शवदाह गृह में एग्जास्ट सिस्टम सहित अन्य व्यवस्थाएं बनवाने के निर्देश दिए। इसके अलावा इसका संचालन कराकर इसकी क्वालिटी को भी परखा गया। अधिकारियों का दावा है कि टीम को सब कुछ सही मिला है और उन्होंने इसके संचालन की अनुमति दे दी है। निरीक्षण के दौरान कार्यपालन यंत्री एसके चतुर्वेदी, सहायक यंत्री राजेश मिश्रा, अभिनव चतुर्वेदी सहित निर्माण एजेंसी अल्फा इक्यूपमेंट के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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nकोविड काल में आए थे आदेश
nबता दें कि वैसे तो नगर निगम परिषद़् ने वर्ष 2015 में तत्कालीन आयुक्त कर्मवीर शर्मा के कार्यकाल में विद्युत शवदाह गृह बनाने की घोषणा की थी लेकिन उस समय आई टीम ने निरीक्षण में बंदरिया को विद्युत शवदाह गृह के लिए सही नहीं बताया था क्योंकि यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र था। इसके बाद लगातार ही इसको लेकर घोषणाएं बजट में होती रहीं लेकिन निर्माण नहीं हुआ। कोविड काल में शासन स्तर से इसके लिए आदेशित हुआ लेकिन नगर निगम जगह नहीं खोज पाया, लक्ष्मणबाग में भी नदी किनारे जगह चिन्हित की गई लेकिन विरोध के बाद इसे अंतत: बंदरिया में ही बनाया गया और विद्युत शवदाह गृह की जगह गैस शवदाह गृह बनाया गया। अधिकारियों की मानें तो यह बाढ़ आने पर भी सुरक्षित रहेगा।
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n19 किलो गैस होगी खर्च
nअधिकारियों की मानें तो इस गैस शवदाह गृह में एक बॉडी को जलाने में औसतन 19 किलो गैस खर्च होगी, यदि बॉडी लगातार जलती हैं तो निगम पर गैस के खर्च का भार कम होगा। बताया गया कि रोजाना 6-7 बॉडी जलाई जा सकती हैं, एक से डेढ़ घंटे का समय बॉडी जलाने में लगेगा। बताया गया कि इससे लकड़ी का उपयोग कम होने से पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। फिलहाल निगम ने इसमें शुल्क निर्धारित नहीं किया है। वर्तमान में लकड़ी और पांच हजार रुपए देने का प्रस्ताव गरीब परिवार के लिए है, इससे माना जा रहा है कि गरीब परिवारों को यह नि:शुल्क रहेगा और गरीबी रेखा से बाहर वालों पर शुल्क वसूला जा सकता है। वहीं चर्चाओं में कहा जा रहा है कि इसका संचालन किसी एनजीओ के हाथ में दिया जाए तो इससे निगम इसका बेहतर संचालन कर सकता है।
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nवर्जन
nराजधानी से टीम निरीक्षण करने आई थी, टीम ने सब कुछ ठीक बताया है, कुछ कमियां हैं जिसे पूरा करने के लिए कहा गया है, इसका संचालन शुरू कर दिया गया है।
nएसके चतुर्वेदी, कार्यपालन यंत्री ननि।
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