सीधी. सीधी पुलिस के प्रयास के बावजूद जिले में मादक द्रव्यों की खेप पहुंच रही है। जिले में नशे पर लगाम लगाने का काम सिर्फ पुलिस विभाग द्वारा किया जाता है। आबकारी विभाग पुलिस विभाग द्वारा सौंपे गए मामलों को अपना बताकर वाहवाही लेने का प्रयास करता है। आबकारी विभाग के संरक्षण में जिले भर में अवैध मादक द्रव्यों का व्यापार चल रहा है। बाहर से आने वाली मादक द्रव्यों के खेप की जानकारी आबकारी विभाग को भलीभांति होने के बाद भी न तो कार्रवाई की जाती और न ही इसकी जानकारी पुलिस को ही दी जाती। जिसके कारण जिले भर में अवैध मादक द्रव्यों का व्यापार फल-फूल रहा है। जिले में नशे के बढ़ते अवैध कारोबार पर अंकुश न लग पाने का मुख्य कारण नशे के बड़े तस्करों पर कार्रवाई का न होना माना जा रहा है। पुलिस द्वारा नशे के अवैध कारोबार पर कार्रवाई तो की जाती है लेकिन यह अवैध नशा कहां से आ रहा है और इसके पीछे बड़े तस्कर कौन हैं इसकी जांच-पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। इसी वजह से सीधी जिले में बाहर से आने वाली नशे की खेप पकड़े जाने के बाद भी उसमें छोटे मोहरे हीे आरोपी बनते हैं।
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जानकारों का कहना है कि सीधी जिले में नशा का अवैध कारोबार दिनोंदिन बढ़ रहा है। जिले का ऐसा कोई भी एरिया नहीं है जहां नशे का अवैध कारोबार न चल रहा हो। यह अवश्य है कि कस्बाई क्षेत्रों से लगे इलाकों में नशा का कारोबार सबसे ज्यादा होता है। सीधी जिले में कुछ सालों से नशे के सौदागरों का सुरक्षित ठिकाना कमर्जी एवं मयापुर बना हुआ है। मयापुर में तो अब उत्तर प्रदेश की ओर से स्मैक की इंट्री भी हो चुकी है। स्मैक की खपत बढ़ाने के लिए बडे तस्करों द्वारा सीधी जिले में मयापुर इलाके को ही चुना गया है। यहां से कई बार बहरी थाना पुलिस द्वारा स्मैक की जप्ती भी की जा चुकी है। स्मैक का नशा काफी महंगा होने के कारण तस्करों द्वारा अभी इसका आदी बड़े घरों के युवाओं को ही बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे स्मैक का नशा भी सीधी जिले में अपना पांव धीरे-धीरे पसार सके। यदि पुलिस द्वारा स्मैक के अवैध कारोबार को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में स्मैक की इंट्री सीधी जिले के अन्य क्षेत्रों में भी होना शुरू हो जाएगी।
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जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश से सीधी जिले में अवैध नशा की खेप सिंगरौली जिले के चितरंगी के रास्ते से ही पहुंचाने का काम काफी सुरक्षित तरीके से किया जा रहा है। वहीं कमर्जी अंचल तुर्रा पहाड़ के रास्ते रीवा जिले के मऊगंज से भी सीधा जुड़ा हुआ है। इस वजह से इस मार्ग से भी नशे का अवैध कारोबार चलाया जा रहा है। इसी तरह रामपुर नैकिन एवं मझौली की ओर भी बाहर से नशे की अवैध सामग्री पहुंचाने का काम चल रहा है। यह इलाके नशे के अवैध कारोबार को लेकर आम लोगों के बीच भले ही काफी चर्चित हों लेकिन पुलिस द्वारा कार्रवाई के नाम पर केवल छोटे मोहरों को ही अपना निशाना बनाया जाता है।
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nनशे के अवैध कारोबार में कई बड़े तस्कर शामिल हैं। जिनकी रसूख के चलते पुलिस द्वारा उन तक पहुंचने की जरूरत नहीं समझी जाती। बड़े तस्करों द्वारा अपने अवैध कारोबार को काफी संख्या में छोटे मोहरों को लगाया गया है। जिनके द्वारा नशे की खेप को लाने-लेजाने का कार्य किया जा रहा है। नशे के अवैध कारोबार में काफी संख्या में लोग ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैले हुए हैं। जिनके द्वारा इसकी बिक्री की जा रही है। यह स्पष्ट है कि पुलिस के संरक्षण के बिना नशा का अवैध कारोबार शहर से लेकर गांव तक नहीं चल सकता।
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पुलिस द्वारा यदि सीधी जिले में बाहर से दाखिल होने वाली नशे की अवैध खेप को पकडऩे के बाद वही कहां से लाई जा रही है और उससे संबद्ध बडे तस्कर कौन हैं इस पर अपनी विवेचना को विस्तारित किया जाए तो निश्चित ही नशा का अवैध कारोबार जिले में भी काफी कम हो सकता है। छोटी कार्रवाई करके पुलिस भले ही अपनी कामयाबी दर्शाए लेकिन वास्तविक रूप से पुलिस द्वारा गंभीरता के साथ नशा के अवैध कारोबार पर कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है।
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nजिला आबकारी विभाग द्वारा जिले में शराब के अवैध कारोबार को लेकर कभी भी बड़ी रेड कार्रवाई नहीं की जाती। कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार अवैध शराब बनाने वालों पर मामले दर्ज किए जाते हैं। वस्तुस्थिति यह है कि आबकारी अमला को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब के कारोबार के संबंध में पूरी जानकारी रहती है। मैदानी अमला द्वारा अवैध कारोबारियों से सांठ-गांठ बनाकर उनसे अपना नजराना तय किया गया है। इसी वजह से शराब के अवैध कारोबार को लेकर शिकायत होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जाती। बताया गया है कि पुलिस द्वारा आबकारी एक्ट के तहत की जाने वाली कार्रवाईयों पर ही विभागीय अमला अपने आंकड़ों की खानापूर्ति अधिकांशत: करता है। आबकारी विभाग के पास स्वयं का अमला होने के बावजूद कार्रवाई न करना कई सवालों को खड़ा करता है। विभाग के बड़े अधिकारी शराब के ठेकेदारों में ही व्यस्त रहते हैं। वहीं उनका अधीनस्थ अमला अवैध शराब के कारोबारियों को संरक्षण प्रदान करनें को ही अपनी ड्यूटी समझ रहा है। आबकारी विभाग के बड़े अधिकारी कभी भी शराब के अवैध कारोबार को रोंकने के लिए कार्रवाई पर नहीं निकलते।