रीवा। वेटरनरी कॉलेज में कुत्ते की नसबंदी के दौरान हुई लापरवाही से उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि सर्जरी कर रहे चिकित्सकों ने उसे एनेस्थीसिया का हैवी डोज दे दिया और लापरवाही के कारण डॉग की जान चली गई। इस बात को लेकर परिजनों ने वेटरनरी कॉलेज में जमकर हंगामा किया। वहीं कॉलेज प्रबंधन की बड़ी मनमानी यह भी रही कि उनके द्वारा मौत का कारण भी नहीं बताया और न ही कोई सर्टिफिकेट दिया। बता दें कि शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी अधिवक्ता केके सिंह अपने तीन साल के कुत्ते की नसबंदी कराने वेटरनरी कॉलेज ले गए थे, उन्होंने बताया कि जब कुत्ते को लाया गया तो वह पूरी तरह से स्वस्थ्य था। ऑपरेशन करने के लिए चिकित्सक अंदर ले गए और जब बाहर लेकर आए तो उसकी सांसें नहीं चल रही थीं। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने ऑपरेशन में लापरवाही की है और ऐसा लग रहा कि एनेस्थीसिया का डोज ज्यादा दे दिया जिससे उसकी मौत हो गई। कुत्ते की मौत से नाराज परिजन चिकित्सकों पर कार्यवाही की मांग करते रहे। परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट के लिए भी स्टाफ परेशान करता रहा।
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nप्रबंधन की मनमानी आई सामने
nबता दें कि कुत्ते की मौत से आक्रोशित पालकों द्वारा वेटरनरी कॉलेज में जमकर हंगामा किया गया। इस दौरान पालकों द्वारा कुत्ते की मौत से सबंधित सर्टिफिकेट भी अस्पताल प्रबंधन से मांगा लेकिन उनके द्वारा नहीं दिया गया। पालकों को वह दो घंटे तक घुमाते रहे और अंत में यह कहकर लौटा दिया कि हम किसी प्रकार का कोई सर्टिफिकेट नहीं देंगे, मनमानी करते हुए पीएम करने से भी इंकार कर दिया। पालकों ने बताया कि जो सर्टिफिकेट दिया गया है उसमें उन्होंने ऑपरेशन सक्सेस होने व रिकवर्ड होने की बात लिखी है।
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nऑपरेशन में थी यह टीम
nवेटरनरी कॉलेज प्रबंधन की माने तो कुत्ते की नसबंदी एसोसिऐट प्रोफेसर डॉ.धर्मेन्द्र कुमार, असिसटेंट प्रोफेसर डॉ.नीलम तांडिया व डॉ.प्रिया सिंह द्वारा की जा रही थी। उन्होंने बताया कि जब नसबंदी के लिए कुत्ते को ले जाया गया तो उसने उलटी की और इसके बाद उसे एनेस्थीसिया दिया गया, ऑपरेशन के बाद वह ठीक था। जब उसे बाहर निकाला गया तो कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। बताया कि मृत्यु किस कारण से हुई, यह पीएम के बाद ही पता चल पाएगा।
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nदो कुत्तों की हो चुकी है मौत
nअधिवक्ता केके सिंह ने बताया कि पूर्व में भी वह अपने कुत्तो का इलाज कराने लाए थे, ठीक 15 दिन पहले एक कुत्ते की इलाज के दौरान वेटरनरी कॉलेज में मौत हो गई, एक कुत्ते की पिछले वर्ष मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि यहां प्रोफेसर पालकों को बाहर कर छात्रों के हवाले जानवरों को कर देते हैं और छात्रों के प्रयोग में बेजुबानों की जान चली जाती है। आरोप है कि चिकित्सकों ने उनके कुत्ते के साथ भी यही किया और प्रशिक्षु छात्रों से ऑपरेशन करा दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। बताया कि दवा सहित ऑपरेशन का समान वह बाहर से लेकर आए थे। कॉलेज में कुछ भी नहीं दिया गया। बता दें कि पूर्व में भी वेटरनरी कॉलेज में कई बेजुबानोंं की मौत लापरवाही से हो चुकी है लेकिन प्रबंधन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
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