सीधी. सिटी कोतवाली पुलिस ने जिला पंचायत सीधी के सहायक परियोजना अधिकारी समेत अन्य कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने की लिखित शिकायत पर आरटीआई कार्यकर्ता बीरेन्द्र सिंह के विरुद्ध आपराधिक मामला पंजीवद्ध कर विवेचना में लिया है। मिली जानकारी के अनुसार जिला पंचायत के सहायक परियोजना अधिकारी भूपेन्द्र पाण्डेय 49 वर्ष निवासी दक्षिण करौंदिया सीधी द्वारा सिटी कोतवाली थाना में लिखित शिकायत की गई थी कि उनके साथ ही कार्यालय में कार्य करने वाले सीएम सिंह, रामानंद प्रजापति, जय सिंह परिहार और बाला प्रसाद तिवारी के विरुद्ध झूंठी शिकायत करने की धौंस देकर बीरेन्द्र सिंह द्वारा अवैध पैसे की मांग की जा रही है। कोतवाली पुलिस ने इसको गंभीरता से लिया और उस पर अपराध क्रमांक 0945/2023, धारा 385 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कर विवेचना में लिया है।
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एफआईआर में दर्ज शिकायत में सहायक परियोजना अधिकारी भूपेन्द्र पाण्डेय ने कहा है कि बीरेन्द्र सिंह परिहार निवासी सीधी द्वारा वर्ष 2017 से कार्यालय के गोपनीय पत्रों/आदेशों की छांयाप्रति गोपनीय रूप से प्राप्त करके उनके साथ ही कार्यालय के कर्मचारियों को अभी तक ब्लैकमेल कर अवैध पैसों की मांग की जा रही है। न देने पर झूंठी शिकायत उच्च स्तर पर झूंठा फंसाने की धमकी दी जा रही है। बताया गया है कि आरटीआई कार्यकर्ता बीरेन्द्र सिंह परिहार द्वारा शासकीय आदेशों, पत्रों को आरटीआई के माध्यम से आवेदन लगाकर हांसिल किया जाता है। बाद में संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया जाता है।
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इस तरह की काफी शिकायतें बनी हुई हैं। जिला पंचायत के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी इसी वजह से काफी मानसिक दबाव में भी रहते हुए कार्य करने को मजबूर हैं। सहायक परियोजना अधिकारी भूपेन्द्र पाण्डेय द्वारा ब्लैकमेल करने के प्रयासों का जहां भरपूर विरोध किया गया वहीं इस मामले को स्वयं आगे आकर पुलिस तक पहुंचाया गया है। जिससे इस तरह के कुत्सित प्रयासों पर अंकुश लगने के साथ ही कार्रवाई भी हो सके। आरटीआई के माध्यम से मिलने वाले आदेशों एवं पत्रों का उचित उपयोग हो यह तो समझ में आता है लेकिन उसका उपयोग संंबंधितों को ब्लैकमेल करने में किया जाए इसे उचित नहीं माना जा सकता।
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आरटीआई के माध्यम से प्राप्त शासकीय पत्रों एवं आदेशों का सही नियत से उपयोग कई मामलों में नहीं किया जाता। कुछ लोग तो पेशेवर होकर इसका दुरुपयोग विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने में कर रहे हैं। इस वजह से कई विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी आरटीआई का आवेदन लगते ही तनाव में आ जाते हैं। उन्हें आभाष होने लगता है कि संबंधित व्यक्ति कहीं प्राप्त जानकारी का उपयोग आगे चलकर उन्हें ब्लैकमेल करने में तो नहीं करेगा। कुछ मामलों में तो सौदेबाजी न होने पर मामले को खींचकर न्यायालय तक पहुंचाया जाता है।
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कई आरटीआई कार्यकर्ता इसी वजह से विवादों के घेरे में बने हुए हैं। आरटीआई के माध्यम से मिलने वाली जानकारी के आधार पर कुछ लोग संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर दबाव बनानें के लिए उच्च स्तर पर भी शिकायत करते हैं। जिससे सामने वाला पूरी तरह से दबाव में आ सके। शासन-प्रशासन को भी इस तरह के मामलों में गंभीरता के साथ कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। जिससे आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारियों का प्रयोग सिर्फ संबंधित व्यक्ति की किसी समस्या के निराकरण में ही सहायक बने। यदि इसके आधार पर अनावश्यक शिकायतें करने का मामला सामने आता है तो निश्चित ही संंबंधित व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।