रीवा। शहर में लोगों को मीठा पानी उपलब्ध कराने का कितना भी दावा किया जाय लेकिन जिस तरह की व्यवस्था है, उसके मुताबिक नगर निगम के समूचे प्रयास के बाद भी लोगों के हिस्से में प्रदूषित पानी ही पीने को मिल रहा है। विगत 4 वर्षों के नगर निगम क्षेत्र में पेयजल पाइप लाइन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है। हालत यह है कि जब तक पूरी की पूरी पाइप लाइन नये सिरे से नहीं बदली जाएगी तब तक लोगों को शुद्ध मीठा पानी मिलना संभव नहीं है। शहर में पेयजल सप्लाई का संचालन संभालने वाली एजेंसी सीएमआर इंफ्रा ने निशुल्क मरम्मत के लिए 1379 स्थानों पर ऊपरोक्त निर्माण एजेंसी द्वारा डैमेज पाइप लाइन की मरम्मत की गई है। कुछ स्थानों पर निर्माण एजेंसियों द्वारा पाइप लाइन को ट्यूब से बांधकर कवर किया गया है, जो मरम्मत के लिए चिन्हित नहीं हो पाते हैं। पेयजल पाइप लाइनों के डैमेज के कारण पाइप लाइन नेटवर्क की स्थायित्व और क्षमता कमजोर हो गई है। इसके कारण अधिकांश भागों में आज भी गंदे पानी की सप्लाई समस्या है। कुछ उपभोक्ताओं के नल कनेक्शन 25-30 वर्ष पुराने होने के कारण नालियों में पेयजल पाइप लाइन गल गये हैं, जिससे गैर सप्लाई टाइम में गंदा पानी पाइप लाइन में प्रवेश कर पूरे क्षेत्र की पेयजल सप्लाई को प्रदूषित करता है।
n
nn
nn
nट्यूब से बंद की जाती है पाइप लाइन की लीकेज
nनगर निगम क्षेत्र में विभिन्न विभागों की एजेंसियां कार्यरत है। उनके द्वारा शहर में निर्माण एवं विकास कार्य किये जा रहे हैं इन एजेंसियों के द्वारा खोदाई के दौरान पेयजल पाइप लाइन को तोड़ दिया जाता है। और नगर निगम को बिना सूचना दिये क्षतिग्रस्त पाइप लाइन को ट्यूब से जोड़कर मिट्टी फिलिंग कर दी जाती है। पेयजल पाइप लाइन की मरम्मत कार्य कुशल कारीगरों के द्वारा कराया जाना चाहिए परंतु इन एजेंसियों के द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप पेयजल पाइप लाइन से सीपेज होकर नाले का गंदा पानी पेयजल सप्लाई लाइन के माध्यम से लोगों के घरों में पहॅुचता है। यद्यपि समय-समय पर विभिन्न निर्माण एजेंसियों के प्रतिनिधियों एवं संबंधित अधिकारियों द्वारा उन्हें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया जाता है कि नगर निगम के पेयजल शाखा के अधिकारियों से समन्वय कर खोदाई का कार्य करायें। पेयजल पाइप लाइन में यदि कही टूट-फूट होती है तो नगर निगम के पेयजल विभाग को सूचित करें, जिससे पाइप लाइन की मरम्मत कुशल कारीगरों के द्वारा कराई जाय। परंतु निर्माण एजेंसियां ऐसा नहीं करती हैं। जिससे पेयजल सप्लाई लाइन में फाल्ट आने पर लोग प्रदेषित पानी पीने के लिए मजबूर होते हैं।
n
nn
nn
nn
nलीकेज प्वाइंट से पाइपों में प्रवेश करता है गंदा पानी
n शहर में प्रत्येक टंकी से पेयजल सप्लाई के लिए बिछी पाइप लाइन का नेटवर्क विस्तृत और लंबा है। प्रत्येक टंकी के पाइप लाइन नेटवर्क के लगभग 25-30 प्रतिशत भाग पर नालियों का निर्माण हो चुका है। साथ ही नालियों से प्रभावित पाइप लाइन से उपभोक्ताओं के कनेक्शन हैं और नल कनेक्शन पाइप भी इन्हीं नालियों से गुजरते हैं। इन पाइप लाइनों और नल कनेक्शनों में होने वाले साधारण रूप से लीकेज की मरम्मत करना आसान नहीं होता है, जिस कारण गैर सप्लाई समय में इन लीकेज प्वाइंट से पाइपों में गंदा पानी प्रवेश करता है। इसके अलावा पाइप लाइन और नल कनेक्शन में कई स्थानों पर फाल्ट पॉइंट का पता लगाने में समय लगता है। फाल्ट प्वाइंट नालियों एवं कांक्रीट रोड में दब चुके हैं। इस वजह मरम्मत कार्य में विलंब होता है।
n
nn