सीधी. जिले के कुसमी आदिवासी अंचल में आए दिन बड़े-बड़े कारनामों का खुलासा मीडिया के द्वारा किया चुका है। पर ऐसे मामले पर प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही तो की गई है लेकिन कोई ठोस कार्यवाही न होने के कारण निर्माण कार्यो मे बड़े-बड़े कारनामे दिन प्रतिदिन इस कुसमी ब्लाक की पंचायतो में होते जा रहे हैं जो अपने आप में अचंभा दिखाई देते हैं। कुछ ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत टमसार से निकलकर सामने आया है। जहां ग्रामीणों ने मीडिया को जानकारी देकर बताया कि सिंचाई विभाग के द्वारा ठाडीपाथर धर्मदुआरी ग्राम पंचायत में करीब 25 लाख रुपए का स्टॉप डैम सिचाई विभाग से स्वीकृत किया गया था। जहां मात्र 3 मजदूरो ने एक दिन मे ही पूरा स्टॉप डैम तैयार कर दिया। यह अचंभा लग रहा होगा कि आखिर एक दिन में मजदूर इतना बड़ा 25 लाख का स्टॉप डैम किस तरह से तैयार कर सकते हैं तो हम आपको बता दें कि यह कारनामा मजदूरों ने नहीं बल्कि जीआरएस ठाडीपाथर के द्वारा एवं उनसे जुड़े सिचाई विभाग एवं जनपद के अधिकारियों ने मिलकर कारनाम कर दिखाया है।
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ग्रामीणो से मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि यह स्टाप डैम नाला धर्मदुआरी मे तैयार किया गया है जिसमें मात्र एक मस्टर रूल जिसकी संख्या 5238 है। जिसमे 3 मजदूरो ने मात्र एक दिन कार्य किया जिसमे 663 रूपये मजदूरी भुगतान की और पूरा स्टॉप डैम एक दिन मे तैयार कर दिया है और उसमे जीआरएस के वेरिफिकेशन के बाद सिचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने 20 लाख रुपए के बिल भी संबंधित ट्रेडर्स को आहरित कर दिए है। जबकि शासन के साफ नियम मनरेगा मे हैं कि पहले मजदूर की मजदूरी निकलनी चाहिए इसके बाद जितना मटेरियल लगा हो उसका बिल पेमेंट होना चाहिए मगर ठाडीपाथर में एक दिन मे 3 मजदूरो ने पूरा स्टॉप डैम तैयार कर देना एवं 20 लाख का ट्रेडर्स के नाम आहरित कर देना और उसमें अभी मजदूरी भुगतान पूरा शेष होना कहीं ना कहीं प्रश्न यह खडा कर रहा है कि जब मजदूरो ने मजदूरी की ही नही तो फिर इतना बडा भुगतान मटेरियल मे करना चिन्ह खड़ा हो रहा है। मामले मे जिले के वरिष्ठ अधिकारी एवं जिला कलेक्टर का ध्यान ग्रामीणों ने आकृष्ट कराया है।
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नहीं लगा है सूचना का बोर्ड
nआपको बता दे कि शासन के नियम अनुसार कोई भी कार्य स्वीकृत होता है तो स्थल पर सूचना का वोर्ड लगाया जाता है लेकिन ठाडीपाथर पंचायत अंतर्गत हो रहे कई ऐसे कार्य हैं जिन पर यदि प्रशासनिक अधिकारी गंभीरता से जांच करें तो कर्यो मे वर्क तो चल रहे हैं लेकिन सूचना का कोई भी वोर्ड नहीं लगाया गया है। इससे यह साफ साबित होता है कि रोजगार सहायक ने इस तरह का भ्रष्टाचार करने के लिए वहा के लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए सूचना का बोर्ड बिना लगाए कार्य को अंजाम दे रहे है और विना मजदूरो के काम किये ही मटेरियल के नाम से पैसे आहरित कर दिया जा रहा है।
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गुणवत्ता में भी हुई अनदेखी
nबता दें कि जैसे ही यह काम स्वीकृत हुआ और काम काफी तेजी के साथ स्टॉप डैम तैयार कर दिया गया जिसमें लोगों के द्वारा आपत्ति जताई जा रही है कि कार्य गुणवत्ता युक्त नहीं है। इसकी भी यदि जांच की जाए तो टेक्निकल खुला से हो सकते हैं।