रीवा। नगर निगम क्षेत्र में मकानों की संख्या को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। वर्तमान में जीआईएस सर्वेक्षण किया जा रहा है। जीआईएस सर्वेक्षण पूरा होने के बाद ही मकानों एवं भवनों के बारे में वास्तविक संख्या के बारे पता चल सकेगा। पूर्व में किये गये सर्वेक्षण के मुताबिक नगर निगम लगभग 65 हजार मकान सूचीबद्ध हैं। जीआईएस सर्वेक्षण पूरा होने पर मकानों की संख्या 20 प्रतिशत बढ़कर लगभग 80 हजार होने की उम्मीद है। इसी अनुपात में संपत्तिकर के निर्धारण में भी वृद्धि हो जाएगी। जीआईएस सर्वेक्षण पूरा होने के बाद ही नगर निगम में वास्तबिक मकानों की संख्या के बारे में जानकारी सामने आ सकेगी। नगर निगम क्षेत्र में भारी संख्या में बिना अनुमति के मकान बनाये गये हैं।
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मकान मंजूरी मिलने में लेटलतीफी के कारण भी लोग बिना अनुमति के मकान बना लिये हैं। नगर निगम के पास वर्तमान यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि उसके द्वारा अब तक कितने मकानों को बनाने की मंजूरी प्रदान की गई है। नगर निगम की डीसीआर शाखा में जो आंकड़े उपलब्ध हंै वह 11 नवंबर 2019 से लेकर अब तक के ही हंै। नगर निगम के जोन प्रभारी भी यह आंकड़ा बताने में असमर्थ हैं। लोगों ने बिना अनुमति के ही अपने मकान तान लिए हैं। नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर में बने सभी मकानों की मंजूरी प्रदान कर दी जाय तो नगर निगम की आय कई गुना अधिक बढ़ सकती है। पिछले दो दशक के दौरान शहर में मकानों की बाढ़ सी आ गई है। शहर का आकार तेजी से बड़ा हुआ है और उसी अनुपात में मकान भी लगातार बनाए जा रहे हैं।
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परंतु जिस अनुपात में मकानों का निर्माण हो रहा है उस अनुपात में भवन की मंजूरी नहीं मिल पाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। नगर निगम के उपायुक्त एमएस सिद्दीकी ने बताया कि नगर निगम में 64929 मकान सूचीबद्ध हैं। वर्तमान में जीआईएस सर्वेक्षण चल रहा है। शहर में बने मकानों की गणना और उनके क्षेत्रफल की जानकारी जुटाई जा रही है। इस सर्वेक्षण के बाद उम्मीद है कि शहर में मकानों का आंकड़ा 80 हजार तक पहुंच जाएगा। यह आंकड़ा इससे भी अधिक जा सकता है। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद ही मकानों के बारे में सही स्थिति की जानकारी हो पाएगी।
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nनिगम में उपलब्ध नहीं है मकान मंजूरी के आंकड़े
nनगर निगम की डीसीआर शाखा में मकान मंजूरी के संपूर्ण आंकड़े ही उपलब्ध नहीं है। मकान मंजूरी का डाटा एकत्र करने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा अक्षरा प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद को इसका ठेका दिया गया है। उक्त कंपनी के रीवा प्रभारी करण सिंह यादव ने बताया कि उनके पास 11 नवंबर 2019 के बाद से अब तक के ही आंकड़े उपलब्ध है। जिसके मुताबिक इस दौरान लगभग 6887 आवेदन प्राप्त हुए हैं। उनमें से 5000 से अधिक भवनों की मंजूरी प्रदान की जा चुकी है। एवं एक हजार से अधिक आवेदनों पर मंजूरी की प्रक्रिया विचाराधीन है। इसके अलावा लगभग 800 मकान मंजूरी के आवेदन निरस्त किए गए हैं। मकान मंजूरी प्रदान नहीं किए जाने के भी कई कारण है। कुछ ग्रीन जोन में आते थे कुछ का डायवर्सन ना होने कारण तो कुछ कृषि भूमि में होने के कारण निरस्त किए गए हैं। कुछ आवेदनों में संपूर्ण कागजात ना होने के कारण निरस्त किए गए हैं।
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