रीवा। एक समय था जब प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में अमहिया कांग्रेस का अलग वर्चस्व था। यही वजह थी कि पिछले चार दशक में हार पर हार के बाद भी टिकट मिलती रही। यह वह कांग्रेस घराना था जहां से विंध्य की टिकटों का निर्धारण होता था। पिछले १९९३ से २००३ तक अमहिया कांग्रेस की बुलंदियां चरम पर थी। विंध्य में विधानसभा व लोकसभा चुनाव में अधिकांश सीटों पर प्रत्याशियों का चयन अमहिया की हां पर ही होता था। उसके बाद के भी दो चुनावों २००८ व २०१३ में भी टिकट वितरण में स्व. श्रीनिवास तिवारी की चली। २०१८ में श्रीनिवास तिवारी के निधन के बाद भी अमहिया कांग्रेस का प्रभुत्व बना रहा और श्रीनिवास तिवारी के घर से दो लोगों को टिकट दिया गया। २०१९ में लोकसभा की टिकट भी अमहिया कांग्रेस के वारिस सिद्धार्थ तिवारी को दी गई। १९९० से २०१९ के लोकसभा व विधानसभा चुनाव परिणामों की बात करें तो इस समयावधि में लोकसभा के ८ चुनाव हुए। १९९८ को छोड़कर ७ चुनावों में कांग्रेस ने श्रीनिवास तिवारी व उनके परिवार को टिकट दिया जिसमें एक बार श्रीनिवास तिवारी को, पांच बार सुंदरलाल तिवारी व एक बार सिद्धार्थ तिवारी कांग्रेस की टिकट पर सियासी मैदान में उतरे। लेकिन जीत सिर्फ एक बार ही मिली। १९९९ के लोकसभा चुनाव में सुंदरलाल तिवारी भाजपा के चंद्रमणि त्रिपाठी को हरा कर चुनाव जीते थे।
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विधानसभा चुनावों की बात करें तो १९९० से २०१९ तक ७ विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें श्रीनिवास तिवारी व उनके परिवार को कांग्रेस ने ११ टिकट दिए। पिछले दो चुनावों में दो-दो टिकट दिए लेकिन चार में ही जीत सके। जिसमें पांच बार श्रीनिवास तिवारी को टिकट मिली। १९९०, १९९३, १९९८ के तीन चुनाव तो वह लगातार जीते लेकिन २००३ व २००८ के चुनाव वह हार गए। २००३ में अपनी परंपरागत सीट मनगवां से तो २००८ में सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा। २०१३ के चुनाव में वह मैदान में तो नहीं उतरे लेकिन दो टिकट एक सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से अपने पोते विवेक तिवारी बबला को व गुढ़ विधानसभा क्षेत्र अपने बेटे व पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी को टिकट दिलाया। सुंदरलाल तिवारी तो गुढ़ से चुनाव जीत गए लेकिन विवेक तिवारी बबला चुनाव हार गए। २०१८ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विवेक तिवारी की धर्मपत्नी अरुणा तिवारी को सिरमौर विधानसभा से व सुंदरलाल तिवारी को गुढ़ विधानसभा क्षेत्र से उतारा लेकिन दोनों चुनाव हार गए।
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इस प्रकार पिछले ७ विधानसभा चुनाव में अमहिया कांग्रेस घराने को ११टिकटें दी गई लेकिन चार में पार्टी को सफलता मिली अन्य में निराशा ही हाथ लगी। इस बार जब कांग्रेस ने मुंहमांगी टिकट देने से इंकार किया तो अमहिया कांग्रेस के वरिस ने नाता ही तोड़ दिया। सिद्धार्थ के पार्टी छोडऩे से विंध्य में कांग्रेस को क्या नफा व क्या नुकसान होगा और भाजपा को क्या फायदा होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। सिद्धार्थ के पार्टी छोडऩे से इतना अवश्य हुआ है कि घराने की राजनीति से कांग्रेस मुक्त हो गई है। रीवा में कांग्रेस का कोई घराना नहीं रह गया।
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nएक नजर में १९९० से कांग्रेस प्रत्याशी
nलोक सभा चुनाव
nवर्ष प्रत्याशी परिणाम
n१९९१ स्व.श्रीनिवास तिवारी हारे
n१९९६ स्व. सुदरलाल तिवारी हारे
n१९९८ मदनमोहन गुप्त हारे
n१९९९ सुंदरलाल तिवारी जीते
n२००४ सुंदरलाल तिवारी हारे
n२००९ सुंदरलाल तिवारी हारे
n२०१४ सुंदरलाल तिवारी हारे
n२०१९ सिद्धार्थ तिवारी राज हारे
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nविधानसभा चुनाव
nवर्ष प्रत्याशी विस क्षेत्र परिणाम
n१९९० श्रीनिवास तिवारी मनगवां जीते
n१९९३ श्रीनिवास तिवारी मनगवां जीते
n१९९८ श्रीनिवास तिवारी मनगवां जीते
n२००३ श्रीनिवास तिवारी मनगवां हारे
n२००८ श्रीनिवास तिवारी सिरमौर हारे
n२०१३ विवेक तिवारी सिरमौर हारे
n२०१३ सुंदरलाल तिवारी गुढ़ जीते
n२०१८ अरुणा विवेक तिवारी सिरमौर हारे
n२०१८ सुंदरलाल तिवारी गुढ़ हारे