रीवा। विधानसभा चुनाव के पूर्व रीवा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। अल्पसंख्यक समुदाय के नेता और कांग्रेस के पूर्व शहर अध्यक्ष व पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष पिछड़ा वर्ग कांग्रेस अब्दुल शहीद मिस्त्री ने पार्टी छोड़ दी। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखकर अल्पसंख्यक समाज की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से अल्पसंख्यक नेताओं को राजनीतिक रूप से हासिए में रखा जा रहा है। कहा कि कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यकों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया है। जिससे अल्पसंख्यक समाज आहत है। इसी कारण से वह कांग्रेस को छोडऩे का निर्णय लिया है।
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पत्र में पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने उल्लेख किया है कि वह वर्ष 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व विधान सभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के हाथों कांगे्रस की सदस्यता ली थी। तब से लेकर अब तक शहर अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों में रहकर पार्टी का निष्ठा पूर्वक काम किया। लेकिन अब वह बात नहीं रही। कई दशक देखा यह जा रहा था कि ग्रामीण अध्यक्ष अन्य वर्गों को शहर अध्यक्ष अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम वर्ग को बनाया जाता रहा है। 2017-18 में मुसलिम वर्ग से अलग सरदार गुरमीत सिंह को शहर अध्यक्ष बनाया गया था जो अल्पसंख्यक वर्ग से ही आते हैं। लेकिन इस बार सामान्य वर्ग के कोटे में शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।
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शहर संगठनमंत्री भी पिछड़े से हैं। इससे अल्पसंख्यक वर्ग नाराज है। बतादें कि रीवा शहर में लगभग 30 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इसी प्रकार लगभग 7 से 8 हजार सरदार व सिंधी मतदाता हैं। कुल मिलाकर 37-38 हजार अल्पसंख्यक मतदाता है जिनका हार-जीत में बड़ा योगदान है। अल्पसंख्यक वर्ग की नाराजगी से कांग्रेस को क्षति होना संभावित है। यहां सवाल यह उठ रहा है कि इससे पूर्व यही वर्ग कांग्रेस से जुड़ रहा था और बढ़-चढ़ कर आगे रहता था तो अचानक मोहभंग क्यों होने लगा। अब्दुल शहीद उसी टीम का हिस्सा रहें हैं जिस टीम के हाथ में आज संगठन की जिम्मेदारी है। फिर टूटन कैसी? इस बात की भी चर्चा है कि वर्तमान शहर अध्यक्ष को बदलने की चर्चा कई बार आईं। अल्पसंख्यक वर्ग की नाराजगी उसी रणनीति का हिस्सा तो नहीं? कि अल्पसंख्यक को साधने के नाम पर शहर अध्यक्ष बदलने का बहाना मिल जाये।