रीवा। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष व वर्तमान में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष की ओर कांग्रेस ने ‘हाथÓ बढ़ाया है। पिछले एक दशक से राजनीति से विरत रहने वाले राजेंद्र पांडेय एक फिर सक्रिय राजनीति से जुड़ कर नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द वह कांग्रेस की सदस्यता ले सकते हैं। राजेंद्र पांडेय के सदस्यता लेने के साथ रीवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से दावेदारों की संख्या में भी इजाफा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि राजेंद्र पांडेय उस समय पर भाजपा के जिला अध्यक्ष रहे हैं जब भाजपा संक्रमण काल के दौर से गुजर रही थी। अब के प्रभुत्व वाले अधिकांश भाजपाई नेता तब कांग्रेस की नाव में सवार थे।
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राजेंद्र पांडेय ने भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। उन्हें 1993 के विधानसभा चुनाव में रीवा विधानसभा से भाजपा ने उतारा था। हालंाकि वह महाराज से टक्कर नहीं ले पाए थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 1998 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस बार कांग्रेस से भाजपा में आए राजेंद्र शुक्ल को टिकट दे दिया था। हालांकि इस चुनाव में राजेंद्र शुक्ल को भी महाराजा ने पटखनी दे दी थी। हालांकि 2003 के चुनाव में रीवा विधानसभा क्षेत्र से राजेंद्र शुक्ल ने जीत हासिल की और तब से वह लगातार जीत दर्ज करा रहे हैं। वर्तमान में सभी दलों के लिए राजेंद्र शुक्ला चुनौती बने हुए हैं। राजेंद्र पांडेय की बात करें तो वह 1993 विधानसभा चुनाव के बाद मैदान में नहीं उतरे।
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महापौर चुनाव में उन्होंने सपा की टिकट से जरूर भाग्य अजमाया लेकिन असफल रहे थे। तब से वह सक्रिय राजनीति से लगभग अलग हो गए थे। पिछले चार बार से लगातार जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हैं। अब एक बार कांग्रेस के बैनर तले सक्रिय राजनीति में आना चाह रहे हैं। उनकी यह पारी कितनी सफल होगी, आने वाला वक्त ही बताएगा। जागरण से चर्चा में राजेंद्र पांडेय ने यह बात स्वीकारी है कि वह कांग्रेस में आने का मन बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो कदम मैं गया हूं, आगे अब कांग्रेस को बढ़ाना है। जानकारी अनुसार वह भोपाल में पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ के साथ बैठक भी कर चुके हैं।
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n1993 के चुनाव में 25 हजार से अधिक पाए थे वोट
n1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रीवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी महाराजा पुष्पराज सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था। इस चुनाव में पुष्पराज सिंह ने 34250 वोट पाया था जबकि राजेंद्र पांडेय को 25157 वोट मिले थे। इस चुनाव में राजेंद्र पांडेय 9 हजार से अधिक वोट से चुनाव हार गए थे। उन्हें 27 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे।
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nकांग्रेस में बढ़ सकती है दावेदारों की संख्या
nराजेंद्र पांडेय के कांग्रेस में आने से दावेदारों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार रीवा विधानसभा क्षेत्र से महापौर अजय मिश्रा बाबा, कविता पांडेय, राजेंद्र शर्मा प्रमुख दावेदारों में चर्चित हैं। यदि राजेंद्र पांडेय कांग्रेस में शामिल होते हैं तो इसी लिस्ट में उनका नाम भी जुड़ सकता है। वहीं व्यापारी वर्ग से मनीष गुप्ता, केके गुप्ता व शिवप्रसाद प्रधान का नाम चर्चा में है।
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nअधिवक्ताओं के बीच हैं लोकप्रिय
nसक्रिय राजनीति से विरत रहने के कारण राजेंद्र पांडेय जनता के बीच उतने लोकप्रिय हाल में नहीं हैं लेकिन अधिवक्ताओं की बीच उनकी लोकप्रियता काफी है। यही कारण है कि पिछले एक दशक से वह जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष का चुनाव लगातार जीत रहे हैं। इसका फायदा सक्रिय राजनीति में कितना मिलता है, आगे आने वाला समय ही बताएगा।
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