रीवा संभाग में विशेषकर रीवा जिले में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के तमाम कारणों में से विंध्य संभाग में सर्वाधिक ब्राह्मण नेताओ को भाजपा ने अपने गुट मे शामिल कर लिया. रीवा सीधी दोनों लोकसभा क्षेत्रों में ब्राह्मण सांसद एवं प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का पद भी भाजपा ने ब्राह्मण को दिया जो रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र से आते हैं, जहां सर्वाधिक ब्राह्मण मतदाता है इसी विधानसभा में पिछले चुनाव में ऐन वक्त पर डॉ एसएस तिवारी का टिकट काटकर कांग्रेस ने नया प्रयोग किया था । जिले में चार विधायक भी भाजपा ने ब्रह्मणों को बनाया।
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कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले में ऐन वक्त पर बसपा से आई बबीता एवं विद्यावती को आजमाया. वही सिंगरौली से रेनू शाह को आजमाया. हालात यह बने कि विपरीत परिणाम आया। सब कुछ ठीक चल रहा था काफी इंतजार के बाद प्रदेश स्तर पर तीन समितियां बनी. जिसमे पॉलीटिकल समिति, चुनाव अभियान समिति एवं चुनाव समिति, जिसमें दो पिछड़ा वर्ग, दो क्षत्रिय वर्ग के और किन्ही-किन्ही समितियों में यही सभी जगह में शोभायमान हैं. ब्राह्मणों को कांग्रेस ने केवल वोट के लिए सुरक्षित रखा है.
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रीवा से राजेंद्र मिश्र 1980 में विधायक बने कभी भी पार्टी नहीं छोड़ा सतना से राजाराम त्रिपाठी सीधी से कमलेश्वर द्विवेदी कुछ ऐसे चिन्हित नाम हैं, जिन्हें संभाग के लोग विशेषकर ब्राह्मणों में पकड़ है, उन्हें किसी भी समिति में नामांकित ना करना आम लोगों में चर्चा का विषय है, जिस प्रकार से चर्चाए हो रहीं हैं माना जा रहा है कि इससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।