बिलासपुर। पति-पत्नी के बीच विवादों के मामले तो आये दी कोर्ट व पुलिस थानों में पहुंचते रहते है लेकिन समय और मुहूर्त के चलते पत्नी के न लौटने पर हाई कोर्ट की शरण मे जाने जैसा एक मामला प्रकाश में आया है। हालांकि मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने इस पर निर्णय भी सुनाया है। तो आइए इस खबर में हम आपको इस पूरे मामले की जानकारी देते है, बता दे कि रायगढ़ निवाशी संतोष सिंह की शादी जांजगीर की अमिता से 8 जुलाई 2010 के हुई थी। अमिता शिक्षाकर्मी हैं। शादी के बाद अमिता और संतोष 19 जुलाई 2010 तक साथ रहे। इसके बाद अमिता के परिवार के सदस्य जरूरी काम बता कर उसे वापस मायके ले गए, जिसके बाद से अमिता अपने ससुराल वापस नही लौटी। संतोष के अनुसार उसने अगस्त 2010 व उसके बाद कई बार अमिता को वापस लाने की कोशिश की लेकिन शुभ मुहूर्त की बात कर वापस न आने की बात कहती रही। पति ने इतना भी कहा कि जब उसका मन हो वह वापस लौट सकती है, जब फिर भी पत्नी वापस नही आई तो संतोष ने अपनी शादी बचाने वाद दायर किया, दायर याचिका के जबाब में पत्नी ने जबाब दिया कि वह वापस पति के पास जाना चाहती है लेकिन जब शुभ मुहूर्त था तब पति उसे वापस लेने नही आया और उनके रीति रिवाज का पालन नही किया। बता दे कि पहले तो पति ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की जिसमे कोर्ट ने दोनो पक्षो को सुनने के बाद यह कहा कि पति परित्याग का आधार साबित करने में विफल रहा जिससे याचिका खारिज की गई जिसके बाद पति ने हाई कोर्ट में रिट अपील दायर की सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि वैवाहिक जीवन को बहाल करने के लिए पति द्वारा तो प्रयास किये गए लेकिन पत्नी ने उसका सहयोग नही किया जो कि गलत है और वह सुबह मुहूर्त की आड़ में वापस नही लौटी। इसलिए अपील करता संतोष सिंह नियम के अनुसार तलाक का हकदार है। हाई कोर्ट ने यह भी माना कि यदि कोई भी पत्नी अपने पति का लंबे समय से साथ रहने में इनकार करती है तो वह उसके परित्याग के समान है। इस प्रकार का मामला सामने आने के बाद कई तरह के सवाल भी उठ रहै है लोंगो का कहना है कि किया शिक्षाकर्मी जैसे लोंग यदि इतना पढ़ा लिखा होने के बाद मुहूर्त और परंपरा की बात कर अपना वैवाहिक जीवन दाव पर लगा रहे है यह समझ के परे है।
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