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n रीवा। n स्वास्थ्य विभाग में फिर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। दो बाबुओं ने करोड़ों का घोटाला कर डाला। शासन से मच्छरदानी और कपड़ा भेजा गया फिर भी 33 लाख का भुगतान कर डाले। मेडिकल स्टोर से एसी, फ्रीज, कम्प्यूटर टेबिल की खरीदी कागजों में कर दी। बिना खरीदी के भुगतान कर डाले। बेबी सूट के लिए एक ही दिन में 6 खरीदी के आदेश शासन के नियमों के विरुद्ध किए। जांच हुई तो सारा फर्जीवाड़ा सामने आ गया। कलेक्टर ने दोंनो लिपिकों को आरोप पत्र जारी किया है।n
n स्वास्थ्य विभाग और फर्जीवाड़े का साथ सालों पुराना है। यहां जितने भी सीएमएचओ रहे सभी के हाथ काले हुए। यहां फर्जी नियुक्तियों से लेकर फर्जी खरीदी और भुगतान में कई सीएमएचओ निपट गए। कईयों के खिलाफ अब भी प्रकरण चल रहा है। फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थी। मामला थाना तक पहुंचा था। अब एक नया मामला बाबुओं का सामने आया है। बाबुओं ने अफसरों को ही फर्जीवाड़े में मात दे दी है। शासन के नियम को धता बताकर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा कर डाला। शासन के नियमों को दांव पर रखकर चहेती फर्मों से खरीददारी की। कई फर्मों को फर्जी भुगतान बिना खरीदी के किया गया। यह सारा गोलमाल कमीशन के फेर में हुआ। जब फर्जी भुगतान और खरीदी की जांच हई तो स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ लेखापाल संतोष तिवारी और तत्कालीन स्टोर कीपर राजकुमार शुक्ला फंस गए। जांच के बाद कलेक्टर ने दोंनों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। दोनों को आरोप पत्र जारी किया गया है।n
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n संतोष तिवारी लेखापाल और राजकुमार शुक्ला तत्कालीन स्टोर कीपर n
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n आरोप क्र 1-
नियम विरुद्ध फर्म से खरीदी की
n मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय रीवा में लेखापाल के पद पर पदस्थ रहने के दौरान मप्र हेल्थ सर्विस कार्पोरेशन भोपाल के नियम के विरुद्ध रेट कांट्रेक्ट में उपलब्ध सामग्री का स्थानीय स्तर पर रुपए 14 लाख का पावरलूम फर्म से नियम विरुद्ध सामग्री का क्रय किया गया। इसमें वरिष्ठ कार्यालय का न तो अनुमोदन लिया गया और न ही भंडार क्रय नियम का पालन हुआ। इसके बावजूद भी संबंधित संस्था को नियम विरुद्ध भुगतान किया गया।n
n आरोप क्र 2-
एक ही दिन में 6 ओदश किए
n बेबी सूट के लिए एक ही दिन 6 आदेश द्वारा रुपए 12 लाख 7 हजार 450 रुपए के क्रय आदेश जारी किए गए। मप्र लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भोपाल द्वारा जारी वित्तीय शक्ति में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रतिमाह अधिकतम 10 लाख तक स्थानीय क्रय करने की वित्तीय सीमा तय है तथा 10 ाख से अधिक क्रय की स्थिति में स्वीकृत कलेक्टर से लिया जाना आवश्यक है। साथ ही मप्र भंडार क्रय एवं सेवा उपार्जन यिम 2015 के प्रावधानों के अनुसार रुपए 5 लाख से ऊपर के क्रय पर खुली निविदा द्वारा कार्यवाही करते हुए न्यूनतम दर प्राप्त फर्म से क्रय किया जाना निर्देशित है। यह सब जानते हुए भी लेखापाल ने संबंधित संस्था को नियम विरुद्ध राशि का भुगतान किया। वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया गया।n
n आरोप 3-
मच्छरदानी का फर्जीवाड़ा
n एआरएलएम अंतर्गत प्राप्त बजट में पैथालॉजी व अन्य फ्री सर्विस के लिए रासायनिक उपकरण क्रय किए जाने का प्रावधान है। इसके बाद भी इस राशि से रुपए 26 लाख 51 हजार रुपए एवं 6 लाख 82 हजार 500 रुपए से नियम विरुद्ध कपड़ा और मच्छरदानी का क्रय किया गया। सेंट्रल लेबोरेटरी इंदौर से 2 हजार नग, सेंट्रल मेडिकल सोसायटी से 2 हजार नग एवं स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल से 2 लाख 21 हजार 150 नग मच्छरदानियां प्राप्त हुईं थी। सामग्री प्राप्त होने के बाद भी फर्जी देयक प्राप्त कर राशि का भुगतान किया गया।n
n आरोप क्र 4-
मेडिकल एजेंसी से एसी, फ्रीज खरीदे
n हनु मेडिकल एजेंसी रमागोविंद पैलेस सिरमौर चौराहा रीवा जो दवा, चिकित्सीय सामग्री विक्रय करती है। इसे एसी, रेफ्रिजरेटर, कम्प्यूटर टेबिल, स्टेशनरी सामग्री के फर्जी देयकों का भुगतान किया गया।n
n आरोप क्र 5-
67 लाख की नियम विरुद्ध हुई खरीदी
n बिना मांग एवं आवश्यकता के कंबल, डिजिटल बीपी मशीन, मेडिकल गाउन, एलईडी, एज्ञामिनेशन लाइट, पल्स आक्सीमीटर आदि के क्रय के लिए 3 मार्च 2021 को अलग अलग आदेश द्वारा 67 लाख 91 हजार 633 की नियम विरुद्ध खरीदी की गई। नियम विरुद्ध भुगतान कर शासकीय राशि के खयानत में सहयोग किया गया।n