रीवा. अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की कवायद अब कुछ गति आई है। सालभर बाद विश्वविद्यालय प्राप्त आवेदनों की छंटनी प्रक्रिया पूरी कर पाया है। तदुपरांत विश्वविद्यालय ने पात्र 319 अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी है। साथ ही, दावा-आपत्ति के लिए संबंधित अभ्यर्थियों को 15 दिन का समय दिया है। दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी के बाद कुल आवेदकों की संख्या तय हो जायेगी। तत्पश्चात विश्वविद्यालय द्वारा साक्षात्कार की प्रक्रिया आरम्भ की जायेगी।
nगौरतलब है कि विश्वविद्यालय शिक्षण विभागों में नियमित शिक्षकों के रिक्त पद भरने गत अप्रैल 2022 में सूचना विज्ञापन जारी हुआ था। इस सूचना में विश्वविद्यालय के रिक्त 57 पदों को भरने योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन चाहे गए, जिसमें 17 प्राध्यापक, 21 सह प्राध्यापक व 19 सहायक प्राध्यापक के रिक्त पद दर्शाये गए। कार्यवाही बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय ने जुलाई 2022 से प्राप्त आवेदनों की छंटनी प्रक्रिया शुरु की, जो अब जाकर पूरी हो सकी है।
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nराज्यपाल ने दिए थे निर्देश
nबताते हैं कि बीते दिनों प्रदेश के राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालय कुलपतियों की बैठक ली थी। इस बैठक में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में रिक्त पदों की जानकारी ली और उन्हें चुनाव आचार संहिता के पहले भरने के निर्देश दिए। राज्यपाल का उक्त निर्देश मिलने पर रीवा विश्वविद्यालय ने नियुक्ति संबंधी कार्यवाही में अब जाकर तेजी दिखाई है।
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n15 दिन में मांगी आपत्ति : विश्वविद्यालय द्वारा गत 28 अप्रैल को जो सूची जारी की गई है, उसमें लेख सूचना के अनुसार यदि किसी अभ्यर्थी का नाम सूची में नहीं है और पात्रता को लेकर वह दावा-आपत्ति करना चाहता है तो वह 15 दिन के भीतर कुलपति सचिवालय में उपयुक्त दस्तावेज के साथ उपस्थित हो सकता है। वहीं, सूची में दर्ज नामों को लेकर भी अगर कोई आपत्ति करना चाहता है तो उसके लिए भी 15 दिन का समय दिया गया है। प्राप्त दावा-आपत्ति का निराकरण करने के बाद विश्वविद्यालय जून माह में साक्षात्कार कार्यवाही आरम्भ कर सकता है।
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कुछ पद रह जायेंगे रिक्त
nविश्वविद्यालय द्वारा जारी सूची के अनुसार मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक व प्राध्यापक के लिए पात्र आवेदक नहीं मिल पाये हैं। ऐसे ही, भौतिकी में प्राध्यापक, गणित व लाइफ लांग लर्निंग में सह प्राध्यापक, अंग्रेजी व रसायन शास्त्र में प्राध्यापक पद के विरुद्ध पात्र आवेदन विश्वविद्यालय को नहीं मिले। इस प्रकार कुछ पदों के विरुद्ध योग्य अभ्यर्थियों के न आने से विश्वविद्यालय को मायूसी मिली है। चंूकि लम्बे अरसे बाद विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों के रिक्त पद भरे जा रहे थे। ऐसे में उम्मीद थी कि कम से कम इस बार सारे रिक्त पद भर जायेंगे परंतु अब फिलहाल ऐसा नहीं हो सकेगा।