भोपाल। नर्सों द्वारा की जा रही हड़ताल के मुद्दे को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने दायर आवेदन पर सुनवाई कर कहा कि जब हड़ताल अवैध है तो हड़ताली नर्सों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। युगलपीठ ने लिखित में 24 घंटे के अंदर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही हिदायत दी है कि यदि सरकार अपने कर्तव्य का पालन करने में असफल रहती है तो न्यायालय सख्त आदेश करने से परहेज नहीं करेगी। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
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nउल्लेखनीय है कि नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच अध्यक्ष डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने वर्ष 2021 में नर्सिंग एसोसिएशन द्वारा की जाने वाली हड़ताल को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए निर्देशित किया था कि यदि नर्सेस हड़ताल अवधि के वेतन की अधिकारी नहीं रहेंगी। उक्त आदेश के बाद भी नर्सिंग एसोसिएशन ने 10 जुलाई से फिर हड़ताल शुरू कर दी। जिसके खिलाफ आवेदकों की ओर से एक अंतरिम आवेदन न्यायालय के समक्ष पेश किया। इसमें अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क प्रस्तुत किया कि न्यायालय के आदेश के बाद पुन: हड़ताल गैर कानूनी है।
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