जबलपुर/भोपाल। मप्र हाईकोर्ट से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को करारा झटका लगा है। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने श्री सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मानहानि मामले को निरस्त करने की मांग की गई थी, हालांकि विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षित है। गौरतलब है कि अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने ग्वालियर की कोर्ट में दिग्विजय सिंह के खिलाफ परिवाद दायर किया है जिसमें दिग्विजय सिंह पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खिलाफ गलत और अनर्गल टिप्पणियां करके मानहानि करने का आरोप लगाया था। 31अगस्त 2019 में भिंड में एक सभा के दौरान गलत बयानबाजी की थी। इसके खिलाफ दिग्विजय सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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सुनवाई के दौरान दिग्विजय की ओर से दलील दी गई कि उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा नहीं बनता। यह भी कहा कि परिवादी द्वारा जो सीडी पेश की गई है वह दिग्विजय सिंह के व्यक्तिगत बयान की सीडी है ना की किसी मीडिया में सार्वजनिक तौर पर दिए गए बयान की सीडी है। इसलिए मानहानि का मामला कैसे बनता है। वहीं अवधेश सिंह की ओर से अधिवक्ता अमित दुबे ने दलील दी कि इस मामले में कई लोगों ने गवाही भी दी है। अधीनस्थ अदालत में सीडी भी प्रस्तुत की गई है। ट्रायल कोर्ट ने प्रारंभिक जांच के बाद ही सुनवाई के लिए परिवाद स्वीकार किया है। जिसके बाद न्यायालय ने मानहानि के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी, हालांकि विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षित है।
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जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान के आधार पर जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मुख्य सचिव और पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले गांव मुगावली, सीहोर में सृष्टि नाम की तीन साल की बच्ची खेलते समय एक बोरवेल में गिर गई थी। वह छह जून, 2023 को गिरी थी, वह 40 फीट पर फंस गई थी। बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही मशीनों के कंपन से वह 100 फीट गहराई तक गिर गई थी।
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आठ जून 2023 को उसे बेहोशी की हालत में रेस्क्यू किया गया और बाद में मृत घोषित कर दिया गया। रेस्क्यू आपरेशन 50 घंटे से ज्यादा चला। खुले बोरवेल बच्चों के लिए मौत का जाल बन गए हैं। इसके पहले भी राजकुमार, माही, साई, नदीम, सीमा, फतेहवीर, रितेश के अलावा कई बच्चे बोरवेल में गिर गए थे, जिनमें कुछ को बचा लिया गया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में छोटे बच्चों के बोरवेलों और नलकूपों में गिरने के कारण होने वाली घातक दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय के लिए सभी राज्यों को निर्देश जारी किए थे।
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