रीवा। वन्यजीवों के संरक्षण के तमाम दावे तो सरकार और प्रशासनिक अधिकारी कर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि इनकी सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाले कुभकर्णी नींद में सो रहे हैं। एक तो वह फील्ड पर जाते ही नहीं और जैसे तैसे कहीं वन्यजीव संरक्षण व जन जीवन प्रभावित होने की बात सामने आने पर निकलते भी हैं तो वह ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेते। ताजा मामला गढ़ थाना क्षेत्र के घूमा पहाड़ का सामने आया है। यहां ग्रामीणों ने मादा लकड़बग्घा को दो शावकों के साथ देखा और जानकारी सिरमौर रेंजर को दी। वन विभाग की टीम थोड़ा देरी से एक्टिव हुई तो एक कथित लकड़बग्घा का शावक उनके हाथ लग गया। जिसे उनके द्वारा क्षेत्र के ही किसान को यह कहकर दे दिया गया कि वह इसे कुछ दिनों तक पाले, जिसका खर्चा सरकार उनको देगी और कुछ दिन बाद वह उसे वापस ले जाएंगे। तब से लेकर अब तक वन विभाग के अधिकारी किसान के घर दोबारा नहीं पहुंचे हैं। इस बड़ी लापरवाही से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए किस स्तर पर अधिकारी प्रयास कर रहे हैं।
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n14 दिन से किसान के घर पर शावक
nबता दें कि क्षेत्र के किसान अरूण पांडेय के घर में 14 दिनों से शावक है। हालांकि अब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह लकड़बग्घे का ही शावक है। उसे कुछ जानकार जंगली बिल्ली भी बता रहे हैं। मामला प्रकाश में आया तो सिरमौर रेंज के अधिकारी एक बार फिर एक्टिव हुए, लेकिन अब तक किसान के घर से शावक को वापस लेकर नहीं गए।
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वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नियमत: शावक के स्वास्थ्य का परीक्षण और उसे खान-पान व उसकी देखभाल रोजाना अधिकारियों को करनी चाहिए। लेकिन एक गरीब किसान के पास पिंजरे में शावक को कैद कर वह गायब हो गए। टाइगर सफारी में भी जानकारी इस संबंध में किसान द्वारा दी गई, लेकिन वह भी स्पष्ट जानकारी इस संबंध में नहीं दे पा रहे हैं।
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nजानकारी के मुताबिक बीते दिनों घूमा के जंगल में ही चरवाहों पर हमला हुआ था, जिसमें एक महिला सहित दो पुरुष चरवाहे घायल हुए थे। चोट के निशान देखकर चर्चा थी कि बाघ प्रजाति ने उन पर हमला किया है, लेकिन सामने ऐसी कोई प्रजाति नहीं आई थी। अब शावक मिलने के बाद माना जा रहा है कि बच्चे को न पाकर लकड़बग्घे ने ही चरवाहों पर हमला किया होगा। हालांकि अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह लकड़बग्घे का शावक है या फिर जंगली बिल्ली। वन विभाग के अधिकारी भी खामोश बैठे हैं।