रीवा। रीवा के स्वास्थ्य विभाग की कुर्सियां खींचतान में ही पड़ी हुई हैं, यही वजह भी है कि रीवा संभाग सहित जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा रही हैं। बीच में चल सीएमएचओ की कुर्सी के लिए खींचतान मची हुई थी, वह अब समाप्त हुई तो अब जेडी स्वास्थ्य की कुर्सी को लेकर मामला सामने आया है। बता दें कि शासन द्वारा 20 सितंबर 2022 को आदेश जारी कर क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं का प्रभार करोड़ों के घोटाले में फंसे डॉ.एमएल गुप्ता को दिया, जबकि बीते वर्ष इनको सीएमएचओ पद से इसलिए हटाया गया था, क्योंकि इन पर करोड़ों के बंदरबांट का आरोप था। इतना ही नहीं, गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह की शिकायत के बाद हुई जांच में कोरोना काल के समय हुई डेढ़ करोड़ से अधिक की खरीदी में डॉ. एमएल गुप्ता सहित कई जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों को दोषी भी पाया गया था। बावजूद इसके शासन द्वारा इसके उनकी पदस्थापना जेडी स्वास्थ्य के रूप में कर दी गई। इसके अलावा भी डॉ.एमएल गुप्ता से कई सीनियर अधिकारी थे लेकिन उनको दरकिनार करते हुए उन्हें जेडी बनाया गया। जिसके खिलाफ डॉ.एमएल गुप्ता से सीनियर जिला अस्पताल सतना में पदस्थ्य डॉ.एमएम पांडेय द्वारा याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में दायर की गई थी और इस याचिका पर हाईकोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत प्रमुख सचिव को करना था लेकिन यह प्रस्तुत नहीं हुआ और न ही प्रमुख सचिव खुद गए। गत 16 जून को हुई इस सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। इतना ही नहीं 25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। 19 जून को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को प्रस्तुत होने के निर्देश दिए गए हैं। मामले में स्वास्थ्य आयुक्त को भी हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी।
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nसाठगांठ के चलते अटकी कार्यवाही
nबताया गया कि शासन द्वारा हाईकोर्ट में जबाव प्रस्तुत करने के लिए तत्कालीन सीएमएचओ डॉ.एनएन मिश्रा को प्रस्तुत कर्ता अधिकारी बनाया था लेकिन कई माह बीत जाने के बाद भी हाईकोर्ट में जबाव प्रस्तुत नहीं किया गया। जिसके बाद गत 12 अप्रैल को स्वास्थ्य आयुक्त को तलब किया और मामले में हाईकोर्ट की फटकार के बाद जबाव प्रस्तुत किया गया। लापरवाही के चलते स्वास्थ्य आयुक्त ने सीएमएचओ को भी फटकार लगाई थी, वहीं हाल वर्तमान सीएमएचओ डॉ.केपी गुप्ता का भी बताया जा रहा है, उनके द्वारा भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। जिसके चलते इस याचिका में लगातार हाईकोर्ट द्वारा जानकारी भी तलब की जा रही है।
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nकई घोटालों में आ चुका है नाम
nडॉ. एमएल गुप्ता के सीएमएचओ कार्यकाल में कई घोटालों में शिकायत हो चुकी है। इसमें कइयों में जांच के बाद वह दोषी भी मिले हैं, जिससे माना जा रहा है कि इससे उच्च पद में पदस्थापना के बाद वह इनसे संबंधित कागज भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि आखिर जब घोटाला सामने आया तो इस प्रकार के अधिकारी को इस तरह के जिम्मेदार पद की जिम्मेदार क्यों दी गई है।
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nपदस्थापना के साथ ही हुआ था विरोध
nनियमत: इस पद में सीनियर विशेषज्ञ की पदस्थापना की जानी चाहिए। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रमोद पाठक ने रिटायर होने के बाद वरिष्ठता के आधार पर उनके द्वारा डॉ. संजीव शुक्ला को प्रभार दिया था। लेकिन शासन से डॉ.एमएल गुप्ता को प्रभार दे दिया गया। जबकि वह डॉ. संजीव शुक्ला सहित अन्य विशेषज्ञों से जूनियर हैं। मामला हाईकोर्ट में गया तो अधिकारी लापरवाही कर मामले को आगे खींचत रहे लेकिन हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अधिकारियों ने जबाव प्रस्तुत किया।
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