रीवा। रीवा के लोगों की कोरोनरी आर्टरी में कैल्सियम की मात्रा ज्यादा है, जिससे यहां के लोग हार्ट के गंभीर मरीज बन रहे हैं। यह बड़ा खुलासा सुपर स्पेशलिटी के ह्द्य रोग विभाग के विशेषज्ञों के जांच में सामने आया है। अब इस समस्या के निदान के प्रयास में विशेषज्ञ जुटे हुए हैं, ऐसा किस कारण से हो रहा है इसकी जानकारी तो अब विशेषज्ञ नहीं जुटा सके लेकिन इससे होने वाली गंभीर समस्याओं के निदान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि रीवा जिले में अधिकांश क्षेत्रों में खारे पानी की बहुलता के कारण हृदय रोगी बढ़ रहे हैं। सुपर स्पेशलिटी ह्द्य रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.व्हीडी त्रिपाठी ने बताया कि ह्द्य रोग से संबंधित अस्पताल में पहुंच रहे मरीजों में से 15 प्रतिशत ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जिनकी कोरोनरी आर्टरी में कैल्सियम की मात्रा बहुत ज्यादा है। ऐसा एक दो नहीं बल्कि 100 मे से 15 मरीजों में सामने आया है। जबकि समान्यत: इसकी समस्या अन्य जगहों पर अधिकतम 5 प्रतिशत की ही होती है। जिससे माना जा रहा है कि यह समस्या रीवा के अधिकतर मरीजों में है। हालांकि ऐसा होने के प्रमुख कारण क्या हैं इस पर चिकित्सक शोध कर रहे हैं।
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nएंजियोप्लास्टी करने में होती है दिक्कत
nविशेषज्ञों की माने तो जिन मरीजों की कोरोनरी आर्टरी में कैल्सियम की मात्रा ज्यादा होने से ऐसे मरीजों की एंजियोप्लास्टी करने में काफी समस्या होती है, बताया गया कि आर्टरी में कैल्सियम की अधिकता होने से वह एक मजबूत आकार ले लेती है और एंजियोप्लास्टी करते समय इस मजबूत आकार को तोड़ पाना चिकित्सको के लिए मुश्किल हो जाता है। मजबूरन उन्हें ऐसे मरीजों को जटिल एंजियोप्लास्टी होने से बाहर भेजना पड़ता है। हालांकि कुछ पर मेहनत कर आपरेशन भी किए गए हैं।
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nमंगाई जा रही रोटा एबेलेटर
nविभागध्यक्ष डॉ.व्हीडी त्रिपाठी ने बताया कि इस प्रकार के जटिल एंजियोप्लास्टी के लिए कैल्सियम की अधिकता से बने इस मजबूत आकार को हटाने के लिए रोटा एबलेटर मशीन का उपयोग किया जाता है, इस मशीन को विधायक राजेन्द्र शुक्ला के प्रयासों से मंगाया जा रहा है, जल्द ही यह मशीन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उपलब्ध होगी जिससे मरीजों को ऐसे केस में राहत मिलेगी। बता दें कि रोटा एबलेटर मशीन के लि टेंडर किया जा रहा है। जल्द ही यह मशीन अस्पताल में उपलब्ध हो जाएगी, इसकी कीमत करीब 46.50 लाख रुपए बताई जा रही है। इसके आने के बाद मरीजों को बाहरी राज्यों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
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nऐसे समझे समस्या…
nइसका सीधा मतलब हृदय को ऑक्सिजेनेटेड ब्लड देने वाली आर्टरी की दीवारों के भीतर कैल्शियम के जमा होने से है। यह आर्टरी के दीवारों को सख्त बनाता है जैसा कि एथेरोस्क्लेरोसिस वाले लोगों के मामले में देखा जाता है। समय के साथ, यह कोरोनरी धमनी के अंदरूनी हिस्से को भी संकीर्ण करता जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह सीमित हो जाता है। कोरोनरी आर्टरी का कैल्सीफिकेशन उम्र के साथ बढ़ता है और पुरुषों में अधिक रहता है। कुछ अन्य जोखिम कारक जो किसी व्यक्ति को इस स्थिति के लिए प्रेरित करते हैंए उनमें तंबाकू का सेवन, उच्च रक्तचाप और गुर्दे की पुरानी बीमारी आदि शामिल हैं। जब समय के साथ रक्त में वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं, तो वे जटिलताएं पैदा करते हैं।
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nह्द्य रोगियों के लिए वरदान
nबता दें कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा सहित विंध्य क्षेत्र के ह्द्य रोगियों के लिए वरदान है। यहां विभागध्यक्ष डॉ.व्हीडी त्रिपाठी व उनकी टीम द्वारा मरीजों को बड़ी राहत हर संभव उपचार कर दी जा रही है, सबसे बड़ी बात यह है कि मरीजों को प्राइवेट अस्पताल के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं और कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों द्वारा उनका उपचार कम खर्च में अस्पताल में किया जा रहा है।
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nकरीब 15 प्रतिशत ऐसे केस सामने आ रहे हैं जिनमें मरीज की कोरोनरी आर्टरी में कैल्सियम की मात्रा ज्यादा होती है, ऐसे मरीजों की एंजियोप्लास्टी करने में काफी परेशानी होती है। हालांकि इसके लिए रोटा एबलेटर मशीन मंगाई जा रही है जिसके बाद यह जटिल एंजियोप्लास्टी भी हो सकेगी।
nडॉ.व्हीडी त्रिपाठी, विभागध्यक्ष कार्डियोंलॉजी विभाग सुपर स्पेशलिटी रीवा।
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