रीवा। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से भगवान भरोसे है, जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी जारी है, कभी दो सीएमएचओ की जंग शुरू हो जाती है तो कभी जेडी के पद पर पदस्थापना को लेकर विवाद शुरू हो जाता है। हालात तो यह है कि हाईकोर्ट की दखल के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी व्यवस्था को नहीं सुधार पा रहे हैं। इसमें बड़ी लापरवाही वरिष्ठ अधिकारियों की है, वह व्यवस्था बनाने में पूरी तरह से नाकाम हो रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मनमानी पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। हालांकि विभाग में चर्चाएं तेज हैं कि ऐसा सिर्फ राजनैतिक दबाव के चलते हो रहा है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में जेडी डॉ.एमएल गुप्ता की पदस्थापना को लेकर अभी भी शिकायतें हो रही हैं, उनकी पदस्थापना को नियम विरूद्ध बताया जा रहा है और हैं भी क्योंकि उनको जेडी पद से तत्काल हटाने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे, शासन ने हटा भी दिया लेकिन अब तक वह कुर्सी पर डटे हुए हैं। जबकि शासन ने उनकी नई पदस्थापना संबंधी दो आदेश जारी कर दिए लेकिन वह अब तक कार्यमुक्त हुए नहीं। इस संबंध में लगातार शिकायत हो रही है।
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nक्या है मामला…
nअधिवक्ता मानवेन्द्र द्विवेदी ने इस संबंध में शिकायत संभागायुक्त से की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग रीवा डॉ.एमएल गुप्ता को हाईकोर्ट में दर्ज याचिका पर तत्काल पद से हटाने के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद शासन ने 21 जून 2023 को आदेश जारी कर उन्हें पद से हटाते हुए जिला अस्पताल रीवा पदस्थ्य किया था, फिर ठीक दो दिन बाद 23 जून 2023 को आदेश जारी कर उन्हेें जिला अस्पताल सतना पदस्थ्य किया गया।लेकिन हैरानी की बात यह है कि वह अब तक रीवा जेडी की कुर्सी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हेें अब तक कार्यमुक्त नहीं किया गया है। शिकायत में उन्हें तत्काल कार्यमुक्त करने की मांग करते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यो की जांच की मांग की गई है। अधिवक्ता मानवेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि हैरानी की बात है कि इसी प्रकरण में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ.केपी गुप्ता को शासन ने निलंबित कर दिया है और उसी प्रकरण में अधिकारी जेडी पर मेहरबानी करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
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nकरोड़ों के घोटाले में रहे शामिल
nबता दें कि जेडी डॉ.एमएल गुप्ता पूर्व में सीएमएचओ पद की जिम्मेदारी संभालने के दौरान करोड़ों के घोटाले में शामिल रहे, प्रशासनिक अधिकारियों की टीम की जांच में यह सामने भी आ चुका है, ईओडब्ल्यू में भी जांच चल रही है। बावजूद इसके उनको बड़े पदों की जिम्मेदारी दी जा रही है। लगातार इसको लेकर शिकायतें हो रहीं हैं कि करोड़ों के घोटाले में शामिल रहे अधिकारी को उससे और वरिष्ठ पद की जिम्मेदारी में आखिर क्यों बैठाया गया है।
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nराजनैतिक दबाव की चर्चा
nमामले को लेकर जेडी सहित सीएमएचओ कार्यालय में तरह-तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं, कहा जा रहा है कि इस वर्ष स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दो सत्ताधारी नेता के वर्चस्व की लड़ाई में पूरी तरह से लडख़ड़ा गईं हैं, जनवरी माह से ही पदों को लेकर शुरू हुई खींचतान अब तक खत्म नहीं हुई है। अपने चहेते को कुर्सी में बैठाने को लेकर नेता आपस में खींचतान मचाए हुए हैं और राजनैतिक दबाव में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी मौन साध रखा है।
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