रीवा। स्वास्थ्य विभाग में मची खींचतान के बीच सीएमएचओ रीवा पर निलंबन की गाज गिर गई। हाईकोर्ट में हलफनामा देने खुद अपर प्रमुख सचिव हाजिर नहीं हुए तो हाईकोर्ट ने मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए जमानती वारंट जारी कर दिया और 25 हजार जुर्माना लगा दिया, इसी मामले पर शासन स्तर से सीएमएचओ डॉ.केपी गुप्ता को निलंबित कर दिया है। जारी आदेश में कहा गया है की हाईकोर्ट में दर्ज याचिका की सुनवाई 16 जून को थी जिसमें ओआईसी सीएमएचओ रीवा डॉ.केपी गुप्ता को वास्तुस्थिति के साथ उपस्थित होना था लेकिन वह नहीं हुए, जिसके परिणाम स्वरूप अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 25000 जुर्माना लगाया गया है। आरोप है कि सीएमएचओ रीवा द्वारा अपने पदीय दायित्वों का निवर्हन करने में अक्षम साबित हुए, जिससे विभाग की छवि भी धूमिल हुई। डॉ.केपी गुप्ता सीएमएचओ को अपने पदीय कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरती जाने के परिणाम स्वरूप मप्र सिविल सेवा नियमों के तहत निलंबित किया गया जाता है। निलंबन काल में डॉ.केपी गुप्ता का मुख्यालय कार्यालय सीएमएचओ सिंगरौली होगा। जिस मामले में सीएमएचओ को निलंबित किया गया है वह क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं का प्रभार करोड़ों के घोटाले में फंसे डॉ.एमएल गुप्ता को दिए जाने का है, जिसके खिलाफ डॉ.एमएल गुप्ता से सीनियर जिला अस्पताल सतना में पदस्थ डॉ.एमएम पांडेय द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी और इस याचिका पर हाईकोर्ट में अपर प्रमुख सचिव को हलफनामा प्रस्तुत करना था लेकिन यह प्रस्तुत नहीं हुआ और न ही अपर प्रमुख सचिव खुद गए। गत 16 जून को हुई इस सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। इतना ही नहीं 25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। जिस पर प्रमुख सचिव की ही अनुसंशा पर सीएमएचओ को निलंबित कर दिया।
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nसाजिश का शिकार हो गए सीएमएचओ?
nबता दें कि सोमवार को जैसे ही सीएमएचओ के निलंबन की खबर सामने आई तो तरह-तरह की चर्चांएं होने लगी, अधिकारी-कर्मचारी आपस में चर्चा में कहते नजर आए कि सीएमएचओ डॉ.केपी गुप्ता ने मामले को लेकर रीवा से डीएचओ डॉ.केबी गौतम और सोनू दहायत को हाईकोर्ट भेजा था, दस्तावेज भी भेेजे गए थे लेकिन उनके द्वारा सही समय पर जानकारी नहीं दी गई। जिसको लेकर सीएमएचओ ने दोनों को नोटिस भी जारी किया कि उनके द्वारा हाईकोर्ट के इस मामले के संबंध में जानकारी क्यों सीएमएचओ को उपलब्ध नहीं कराई गई। अब हकीकत क्या है यह तो जांच में ही सामने आएगा। चर्चा में कहा जा रहा था कि सीएमएचओ की कुर्सी के जुगाड़ में लगे कुछ लोगों की साजिश का शिकार सीएमएचओ केपी गुप्ता हो गए।
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nबंद करा दिया था फर्जीवाड़ा
nवहीं कर्मचारियों के बीच चर्चा यह भी रही कि स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं व बजट में फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए सीएमएचओ सिरदर्द बने हुए थे। वह फर्जीवाड़े के सख्त खिलाफ थे जिसको लेकर कुछ अधिकारी-कर्मचारियों से उनकी बहस भी हुई थी और उन्होंने उन्हें पद से हटाने की धमकी तक दे डाली थी, वह अधिकारी राजनैतिक पकड़ से मजबूत थे और उन्हीं के चलते वित्तीय पॉवर तक सीएमएचओ गुप्ता को नहीं मिल सका था। हालांकि कर्मचारियों के बीच चल रही चर्चा इसलिए भी सही मानी जा रही क्योंकि सीएमएचओ की कुर्सी के लिए जंग खुलकर सामने आ चुकी है।
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