रीवा। एसजीएमएच में एक ऐसा भी विभाग हैं जहां आयुष्मान काम नहीं आता। मरीजों से ही आपरेशन का सारा सामान खरिदवाया जाता है। महंगी कीमतों पर मिलने वाले इक्यूपमेंट गरीबों पर सितम ढा रहे हैं। हाथ पैर से टूटे लाचार मरीजों पर कहर बरपाया जा रहा है।
nसंजय गांधी अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में मरीजों का बुरा हाल है। यहां बेड खाली नहीं है। डॉक्टरों की भरमार है लेकिन सीनियर आते ही नहीं है। गंभीर रूप से घायलों को समय पर उपचार नहीं मिलता। ऑपरेशन के लिए लंबी वेटिंग रहती है। हाथ पैर का फैक्चर लेकर भर्ती मरीजों को हफ्तों आपरेशन के लिए वेटिंग कराया जाता है। कुल मिलाकर इन्हें इतना परेशान करते हैं कि वह प्राइवेट अस्पताल भाग खड़े होते हैं। इन्हीं मरीजों से फिर प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर मोटी रकम ऐंठते हैं। हड्डी रोग विभाग में आपरेशन की वेटिंग कमाई का जरिया बन गया है। यहां एक भी बेड खाली है। मरीज ओव्हर फुल हो गए हैं। फिर भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है। हद तो यह है कि यहां अधिकांश मरीज गरीब है। इन्हें आयुष्मान का भी फायदा नहीं दिया जाता। कमाई के लिए ऐसा झांसा देते हैं कि मरीज कर्ज लेने तक को मजबूर हो जाते हैं।
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nइसमें करते हैं खेल
nहड्डी रोग विभाग में फैक्चर होकर पहुंचने वाले मरीजों को स्टील प्लेट के नाम पर लूटा जाता है। स्टील की राड महंगी आती है। इसी महंगी राड को मरीजों के आपरेशन में उपयोग होता है। आयुष्मान कार्डधारियों के लिए अस्पताल में ही सारी दवाइयां और उपकरण उपलब्ध कराने का नियम है लेकिन प्रक्रिया में लंबा समय लगने का कारण बताकर गरीबों को नगद खरिदवाया जाता है। कुछ यहां दलाल भी सक्रिय है जो सब कुछ अरेंज कराने के एवज में रुपए वसूलने का काम करते हैं। हजारों रुपए की मिलने वाली स्टील प्लेट और राड में ही सारा खेल होता है। इतना ही नहीं यहां आने वाले मरीजों को विभाग के ही डॉक्टरों के अस्पताल में भेजने के लिए भी दबाव बनाया जाता है।
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nविभाग के सभी डॉक्टरों का है प्राइवेट अस्पताल
nसंजय गांधी अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में पदस्थ सभी डॉक्टरों का खुद का प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक है। यह वजह है कि यह सीनियर डॉक्टर वार्डों में समय पर आते ही नहीं है। जूडा के भरोसे ही विभाग चल रहे हैं। प्राइवेट अस्पताल संचालित किए जाने के कारण ही यहां की वेटिंग भी खत्म नहीं होती। जब मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलता तो वह इन्हीं डॉक्टरों के प्राइवेट अस्पताल में पहुंच कर लुटने को मजबूर होते हैं।
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nसमर वेकेशन पर हंै डॉक्टर लेकिन बाहर सेवाएं दे रहे
nइस समय संजय गांधी अस्पताल के अधिकांश डॉक्टर समय वेकेशन पर चल रहे हैं। बाहर घूमने के लिए छुट्टियां लिए हुए हैं। अधिकांश डॉक्टर हालांकि अवकाश लेकर खुद के प्राइवेट अस्पताल में बैठते हैं। अस्पताल में सेवाएं देने नहीं आते लेकिन प्राइवेट प्रैक्टिस से गुरेज नहीं करते। संजय गांधी अस्पताल में जिस इलाज के लिए एक रुपए नहीं लगते। उसी इलाज का प्राइवेट अस्पताल में लाखों रुपए वसूला जा रहा है।
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nप्राइवेट में तुरंत आपरेशन
nहद तो यह है कि जिस संजय गांधी अस्पताल में ही पदस्थ डॉक्टर जिस मरीज को महीनों तक आपरेशन के लिए इंतजार कराते हैं। वही डॉक्टर अपने अस्पताल में तुरंत उसी मरीज का आपरेशन करने के लिए तैयार हो जाते हैं। हड्डी रोग विभाग में मरीजों को हाथ, पैर में सूजन बताकर भर्ती करके रखते हैं। जांच के नाम पर हफ्तों लगा देते हैं। तरह तरह की जांच के लिए चक्कर लगाया जाता है। वहीं दूसरी तरफ उसी डॉक्टर के प्राइवेट अस्पताल में मरीज को तुरंत आपरेट करने की बात कही जाती है।
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nयह डॉक्टर हैं पदस्थ
nअस्थि रोग विभाग में डॉक्टरों की लंबी लिस्ट है। यहां डॉ विद्याभूषण सिंह, डॉ शुभम मिश्रा, डॉ अमित चौरसिया, डॉ पीके वर्मा, डॉ राहुल कुंदर, डॉ जितेश गावंडे सहित अन्य डॉक्टर मौजूद है। एचओडी डॉ पीके लखटकिया हैं। इनका अपने ही विभाग पर कंट्रोल नहीं है।
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