रीवा। नगर पालिक निगम की जनसंपर्क शाखा में एक बार फिर मनमानियों की शिकायते सामने आने लगी हैं। पूर्व में भी की गई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं होने से शिकायतकर्ता नाराज हंैं व आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं। अधिवक्ता मानवेन्द्र द्विवेदी सहित अन्य ने महापौर अजय मिश्रा बाबा को शिकायत करते हुए कहा है कि नगर पालिक निगम में सहा. जनसंपर्क अधिकारी की जिम्मेदारी प्राणनाथ पांडेय को दी गई है। इन दिनों आम जन में चर्चा है कि नगर निगम में विज्ञापन के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। कुछ चिङ्क्षहत समाचार पत्रों को ही नगर निगम की विज्ञापन शाखा से विज्ञापन दिया जा रहा है। चर्चा है कि ऐसा सिर्फ सहा. जनसंपर्क अधिकारी प्राणनाथ पांडेय के इशारे पर हो रहा है और वित्तीय लाभ के लिए किया जा रहा है।
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बताया है कि पूर्व में नगर निगम आयुक्त रहे सभाजीत यादव के कार्यकाल में ऐसी ही चर्चाएं थी और शिकायत की गई थी जिसमें फर्जीवाड़ा मिला था और वित्तीय अनियमितता सामने आई थी. जिसके बाद सहा.जनसंपर्क अधिकारी के पद से प्राणनाथ पांडेय को हटाने की कार्यवाही सहित मनमानी बनाए गए बिलो में कटौती की गई थी लेकिन वर्तमान में निगमायुक्त संस्कृति जैन ने फिर से प्राणनाथ पांडेय को सहा. जनसंपर्क अधिकारी का प्रभार दे दिया है। यह समझ के परे है कि पूर्व में भ्रष्टाचार में लिए मिले कर्मचारी को उसी पद की जिम्मेदारी दे दी गई, जिससे निगमायुक्त की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल खड़े किए जा रहे है। निगमायुक्त ने प्राणनाथ पांडेय को अपना स्टैनो के साथ ही सहा जनसंपर्क अधिकारी की जिम्मेदारी दे रखी है। जबकि नगर निगम में सहा. जनसपंर्क अधिकारी के कैडर के अन्य अधिकारी कार्यरत है लेकिन इसके बाद भी बिना कैडर इन्हें पद की जिम्मेदारी दी गई है ऐसा चर्चाओं में कहा जा रहा है।
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अधिवक्ता मानवेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि हाल ही में जनसंपर्क शाखा से निविदा के अंतिम दिन ही निविदा का विज्ञापन प्रकाशित कराया गया था जिसकी शिकायत मेरे द्वारा की गई थी निविदा तो रद्द कर दी गई लेकिन विज्ञापन प्रकाशित कराने वालो पर इस बड़ी लापरवाही पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। पूर्व में भी शिकायत में मेरे द्वारा बताया गया था कि दैनिक अखबार से आपसी साठगांठ कर बिल क्रमांक 575 साइज 20 बाई 15 जो कि 10 दिसंबर 2018 को प्रकाशित हुआ था जिसका बिल 18900 रुपए का था. निर्माण शाखा में निगम के डिस्पैच नंबर 180,191,197, 185,195 व 187 जो कि 5 जून 2018 को विज्ञापन दिया गया, बिल क्रमांक 615 या 625 दिनांक 23 फरवरी 2019 को 15 बाई 12 साइज विज्ञापन मनमाने रेट से बिल लगाया गया, विज्ञापन 12 सितंबर 2018 को प्रकाशित हुआ। बिल क्रमांक 2518 जो कि दिनांक 10 फरवरी 2019 को सप्ताहिक अखबार को दिया गया ? नियम विरुद्ध था लेकिन अभी तक इनकी जांच नहीं हुई। अधिवक्ता ने महापौर से कार्यवाही की मांग की है।
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