मेरा नाम रूपा ( परिवर्तित नाम) है। मैंने ग्रेजुएशन भी किया हुआ है। बीतते हुऐ समय के साथ मेरे घर में मेरी शादी की चर्चाएं तेज हो गई। मेरे भी कुछ सपने थे कि मेरा ससुराल ऐसा होगा वैसा होगा। मेरा पति मेरा सर कभी झुकने नहीं देगा। मेरे पिता की कपड़ो की दुकान थी जिसमें मैं भी पिता जी का हाथ बटा दिया करती थी। एक दिन एक अमित नाम का नौजवान मेरी दुकान में आया । उसका कद लम्बा था। वो दिखने बेहद ही खूबसूरत था। उस दिन मेरी मुलाकात अमित से हुई। मुझे देखने के बाद वो प्रतिदिन मेरी दुकान में आने लगा। मुझे भी उसे देखना अच्छा लगता था। समय के वो मेरे पिता जी को काफी पसंद आ चुका था एक दिन पिता जी ने उसे घर में खाने मे बुलाया। जब वो मेरे घर आया तो मै बहुत खुश थी। शाम को जब वो मेरे घर से गया तो उसकी तारीफ मेरे घर सभी लोगो ने की । एक दिन अमित ने मुझे मिलने के लिए कहा । जब मै उससे मिलने गई तो उसने मुझे शादी के लिए कहा। मैं मन ही मन खुशी से झूम उठी। और मैंने उसे हा कर दी। दूसरे दिन अमित के पिता बृजकिशोर मेरे घर मेरी शादी का रिश्ता लेकर आए। और हमारी शादी पक्की हो गईं। फिर मै अमित से रोज मिलने लगी। हमारी शादी को कुछ दिन बचे थे कि एक दिन बाजार में मेरी सहेली ने जब मुझे अमित के साथ देखा तो वो मेरे घर आई और उसने कहा कि अमित बहुत बड़ा धोखेबाज है । मैंने उसकी एक न सुनी । आखिर कार हमारी शादी हो गईं। मैं बहुत खुश थी। मन में लाखो सपने सजोकर मैं अपने ससुराल पहुंची। मेरा फूलो से स्वागत हुआ।
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nमैं जिस घर में वहां कईं महिलाए-लड़किया थी। मुझे लगा शादी में आई होंगी। ससुराल में दूसरे दिन कई लोग मुझे देखने आए। और वो भर भर के अमित के हाथो में पैसे देकर जा रहें थे। मैने जब अमित से पूछा तो उसने कहा कि ये मु दिखाई है। ससुराल में कुछ समय बीतने के बाद मैने अमित से पूछा घर में इतनी महिलाए और लड़किया क्यू आती जाती है। तो उसने मुझसे कहा ये सब यहां पर मौसी के पास अपनी प्रॉब्लम लेकर आती है। मैं घर में उपर की तरफ रहती थी।
nहफ्ते बीतने के बाद एक दिन अमित मुझे छत में रोता हुआ मिला। जब मैंने उससे कारण पूछा तो उसने कहा कि उसके सर में बहुत कर्जा है और अगर उसने वो कर्जा नहीं चुकाया तो उसकी जान को खतरा है। मैं घबरा गईं और कहा मै कैसे तुम्हारी मदद करू तो उसने कहा मेरी मदद कोई नहीं कर सकता। और उसने मुझे अपनी बातो मे ऐसा फसाया कि मैंने उसे सारे गहने दे दिए। कई दिन बीत जाने के बाद अमित ने कहा रूपा अगर तुम चाहो तो मेरा सारा कर्जा उतर सकता है। मैने कहा तुम जो बोलोगे मैं कर दूंगी। तो उसने मुझसे मेरा जिस्म बेचने के लिए कहा। मैने जैसे ही सुना मेरे पैरो से जैसे जमीन ही खसक गई । वो मेरे सामने रो रो कर मुझे मेरे जिस्म का सौदा करने को कहने लगा। मैं बिना कुछ कहे वहां से चली गईं। मैने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। और सारी रात रोकर बिता दी । मैं जब ससुराल में आई थी तो एक लड़की रोज मुझे देख कर घूरा करती थी। सुबह जब मै कमरे से बाहर आई तो मैंने उस लड़की को नीचे आंगन में देखा। मैंने उसे छत में बुलाया। और उसे कुछ पैसे देकर अमित के बारे में पूछा। तो उसने मुझसे कहा कि दीदी आपकी शादी एक देह व्यापारी के साथ हुई है। और ये घर नहीं बल्कि एक चकला है। जहां हम लोगो के जिस्म का सौदा किया जाता है। मैं सुनकर बेहोश हो गईं। जब होश आया तो मैंने खुद को कमरे में बंद कर लिया। और बहते हुऐ आंसुओ से मैंने अपने माता पिता को याद किया। मेरे सारे सपने टूट गए। मुझे मेरी सहेली की याद भी आई जिसने शादी से पहले आगाह किया था।मैं यह बात अपने माता पिता को भी नहीं बता सकती थी क्युकी मैं जानती थी कि अगर उन्हें ये बात पता चली तो वो जीते जी ये सोचकर मर जायेंगे कि हमने अपनी बेटी की शादी कहां कर दी। उसी रात अमित नशे की हालत में आया और मुझसे जिस्म बेचने को कहने लगा जब मैंने मना किया तो उसने जबरजस्ती मेरे जिस्म का सौदा कर दिया। उसके बाद समाज के बड़े ठेकेदार हर रोज़ मेरी भूके भेड़िए की तरह नोचने लगे। मैं वहां से भाग भी नहीं सकती थीं । इसलिए मैंने समय के साथ ये ठान लिया था कि समाज के ऐसे पापियों को सजा दिला कर रहूंगी। मैं रोज खिड़की से सामने की दुकान मालिक को आंसू भरी निगाहों से निहारती रहती।
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मैने वहां की कुछ लड़कियों को इस लड़ाई में अपने साथ भी कर लिया था। मुझे वहां से भागने का मौका नहीं मिल रहा था। एक बूढ़ा अमीर हमेशा मेरे पास आया करता था। भूखे भेड़िये की तरह मेरे जिस्म को नोचता, मेरे पति अमित को ढेर सारे रुपए देता और मेरे साथ अप्राकृतिक सेक्स करता था, शरीर के उन जगहो पर जख्म देता था जिसे भरा भी नही जा सकता था न ही किसी को दिखाया जा सकता था, ऐसे सिर्फ मेरे ही नही वहा मौजूद हर लड़की और महिला के जिस्म को नोचा जाता था, नए नए लोग आते और अपनी हवस पूरी करते, मेरे पिता जी की कपड़ो की दुकान की तरह हर दिन व कभी कभी तो हर घण्टे मे ग्राहक बदलते थे. अप्राकृतिक सेक्स का लालच देकर मैने उस अमीर बूढ़े को उससे बाहर घूमने की बात कही। वह भी मेरी बातो मे आ गया और कार मे जंगल मे जाने के लिए तैयार हो गया था. उसके मन मे मेरे शरीर को खुली हवा मे नोचने की ख्वाहिश थी और मेरे मन मे खुली हवा मे सांस लेने की ख्वाहिश. बस फिर किया था पहले दिन तो वह मुझे सुरक्षा के साथ लेकर गया जहा से मेरा भागना मुश्किल था. इसलिए मैने उस अमीर बूढ़े को उसकी ख्वाहिश के अनुसार खूब अप्राकृतिक कृत्य का आनंद दिया खुद के नंगे बदन पर ऐसे ऐसे जख्म दिलाये की उस रात उस बूढ़े को खूब मजा आया, मैने भी तय कर लिया था की बदला जरूर लेना है बस एक सही समय का इंतजार था, एक दिन एसा आ ही गया, शराब के नशे मे अमीर बूढ़ा मेरे पास पहुंचे बाहर जाने की बात कही, उस दिन मेरा सौदेबाज पति भी नही था. सुरक्षाकर्मी भी का थे, पहले तो उस अमीर ग्राहक ने मुझे कोठे पर ही जी भरकर नोच डाला पर उसे अब खुली हवा मे मजा आने लगा था. मैने भी उससे खुले हवा मे मजा आने की बात कही, वह उस दिन ही बाहर लेकर जाने को तैयार हो गया। मै उसके साथ बाहर जाने से पहले मेरी तरह वहां फसी लड़कियों को भी बता दिया था कि आज यहां कोई नहीं रहेगा तुम लोग भी भाग जाना। अब मैं उस बुजुर्ग के साथ जैसे ही सुनसान सड़क पर पहुंची तो मैने उसी की शराब की बोतल उसके सर फोड़ दी। जिससे वो बेहोश हो गया। बेहोशी की हालत मे मैने उसके उस अंग को भी काट दिया जो मुझे हर रोज जख्म देता था. अब मैने उस बुजुर्ग के मोबाइल से अमित को फोन किया और खुद के भागने की जानकारी दे दी। अमित गुस्से में चकले के कर्मचारियों के साथ मुझे ढूंढने निकल पड़ा। जिससे वहां की बेबस लड़कियों को भी भागने का मौका मिल गया। हम सभी लड़किया वहां से भाग गईं। बदनामी के डर से हम लड़कियों ने किसी को कुछ नहीं बताया।