रीवा।जिले के त्योंथर स्थित शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय से एलएलबी उत्तीर्ण छात्रों का राज्य अधिवक्ता परिषद में नामांकन नहीं हो रहा। लिहाजा यहां से एलएलबी उत्तीर्ण छात्र पेशेवर वकील नहीं बन पा रहे हैं। मामले को लेकर महाविद्यालय के कुछ छात्रों ने मप्र उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। उच्च न्यायालय ने मप्र शासन, बीसीआई, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, महाविद्यालय प्राचार्य व मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद को नोटिस दिया है।
इस नोटिस में संबंधितों से 4 सप्ताह में जबाब प्रस्तुत करने कहा गया है। यह आदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने दिया है। याचिका कर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्र ने मामले में पैरवी की। मामले में बताया गया कि महाविद्यालय से जून 2023 में याचिकाकर्ता छात्र आनंद प्रकाश द्विवेदी, प्रभात कुमार तिवारी, नीरज सिंह, जितेंद्र शर्मा ने विधि स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात इन छात्रों ने मप्र प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद में अधिवक्ता बनने हेतु नामांकन का आवेदन किया तो छात्रों का आवेदन निरस्त हो गया।
आवेदन निरस्त करने का कारण बताया गया कि संबंधित महाविद्यालय जहां से छात्रों द्वारा एलएलबी की डिग्री प्राप्त की गई है, उस महाविद्यालय का नाम बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों की सूची से हटा दिया गया है। इस पर शिक्षा व्यवस्था प्रणाली से नाराज छात्रों मप्र उच्च न्यायालय की शरण ली। छात्रों का तर्क है कि छात्रों को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा केंद्रीकृत काउंसलिंग के माध्यम से संबंधित कॉलेज में प्रवेश मिला, जहां से छात्रों ने नियमित छात्र के तौर पर परीक्षा उत्तीर्ण की। अब परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
संभाग के अन्य महाविद्यालयों का भी यही हाल: बताते हैं कि शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय त्योंथर की 2019 से मान्यता का नवीनीकरण नहीं हुआ है। इसी तरह, रीवा विश्वविद्यालय में संचालित 5 वर्षीय बीएलएलबी कोर्स की 2007 के बाद मान्यता का नवीनीकरण नहीं हुआ। इसके अलावा, शासकीय शहीद केदारनाथ महाविद्यालय मऊगंज की 2011 से, नेहरू स्मारक महाविद्यालय चाकघाट की 2012 से, ईश्वर चांद महाविद्यालय जवा की 2015 से मान्यता नवीनीकरण नहीं हुआ।
यह नवीनीकरण किसी का शुल्क जमा होने के कारण नहीं हुआ तो किसी का शुल्क जमा होने के बाद भी बीसीआई का निरीक्षण न होने के कारण। इस कारण, बीसीआई की मान्यता सूची में इन संस्थाओं का नाम नहीं प्रदर्शित हो रहा, जिसके चलते मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद इन महाविद्यालयों से एलएलबी उत्तीर्ण छात्रों का अधिवक्ता के रुप में पंजीयन नहीं कर रहा है।