रीवा। हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली 24 अक्टूबर को मनाया जायेगा। इस दिन नगरवासी अपने घरों में दीपों की माला सजाकर अमावस की रात का अंधेरा दूर करेंगे। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह महापर्व अंधेरी रात को असंख्य दीपों की रोशनी से प्रकाशमय कर देता है। दीप जलाने के साथ-साथ घर में महालक्ष्मी व श्री गणेश का स्वाति नक्षत्र में पूजन किया जायेगा। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या की रात्रि महालक्ष्मी रात्रि विचरण करती है तथा जो घर साफ सुथरे, दीपमालाओं से प्रज्ज्वलित तथा सुसज्जित होते हैं। जिस परिवार का मुखिया उच्च कुलीन विचारों से परिपूर्ण होता है, एवं जिस घर में प्रकाश के साथ रात्रि जागरण हो रहा होता है, वहां लक्ष्मी अपना स्थाई निवास बना लेती है।
यह है मान्यता
मतानुसार हिंदू मान्यताओं में राम भक्तों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक रावण का संहार करके अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्या वासियों ने राम के स्वागत में दीप जलाकर नगरों को साफ-सुथरा कर फूल-मालाओं से सजा कर महोत्सव मनाया था। वहीं, दूसरी ओर वैदिक कालीन मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देवी महालक्ष्मी का समुद्र से प्राकट्य हुआ था। इसीलिए इस तिथि को लक्ष्मी पूजन एवं दीपमलिका प्रज्वलित करने का विधान है।
नये बही-खातों का प्रयोग आज से
एक गूढ़ रहस्य है कि दीपावली मुख्य रूप से वैश्यों का पर्व माना गया है। शास्त्र सम्मत है कि श्रावण पूर्णिमा ब्राह्मणों का, विजयादशमी क्षत्रियों का, दीपावली वैश्यों का तथा होली शूद्रों द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। यही कारण है कि दीपावली पर्व पर वैश्य वर्ग बही खातों का पूजन करते हैं तथा नए बही-खातों का प्रयोग भी इसी दिन से किया जाता है। बही खाते पूजन के साथ दीपावली पर्व पर कलम दवात, तुला, तिजोरी एवं अन्य व्यावसायिक साजो-सामान का पूजन भी किया जाता है।
ऐसे चलेंगे पूजन कार्य
: प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन
: दीपमाला प्रज्ज्वलन
: कमला जयंती उत्सव
: रात्रि जागरण
: महाकाली पूजन
: बही-खाते का पूजन
: घोर तांत्रिक साधनाओं की सिद्धि
दीपावली के शास्त्र सम्मत मुहूर्त निम्न प्रकार है-
– अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 24 अक्टूबर सायं 5.27 बजे से।
– प्रदोष काल- सायं 5.31 बजे से रात्रि 8.02 बजे तक।
– स्थिर लग्न वृषभ काल- सायं 6.44 बजे से रात्रि 8.41 बजे तक।
– चौघडिया मुहूर्त (व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिये)
– सायं 5.31 बजे से 7.05 बजे-चर चौघडिय़ा।
– रात्रि 10.15 बजे से 11.49 बजे तक- लाभ चौघडिय़ा में।
गृहस्थों के लिए पूजन मुहूर्त
– सायं 5.27 बजे से 5.56 बजे तक- गौधूलि मुहूर्त।
– सायं 6.44 बजे से रात्रि 8.02 बजे तक- प्रदोष काल, गौधूलि एवं स्थिर लग्न, वृषभ का संयोग। (सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त)
– रात्रि 8.41 बजे से 10.55 बजे तक- ेिद्व-स्वभाव लग्न मिथुन में।
घरों की रसोई मेें महकेंगे पकवान
रीवा। पंच दिवसीय महोत्सव का प्रधान पर्व दीपावली है। इस वर्ष सोमवार 24 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। ङ्क्षहदू धर्म के प्रमुख त्योहार में से एक दीपावली को लेकर शहर का बाजार शाम के वक्त रंगबिरंगी रोशनी से जगमग होने लगा है। त्योहार की रौनक शाम के वक्त से ही बाजार में देखने को मिल रही हैं। वहीं, लगभग सभी लोगों ने अपने घरों को भी सजा लिया है। साफ-सफाई, रंग-रोगन के बाद घरों की अंदरुनी व बाहरी दीवारों में झिलमिलाती झालर भवन की शोभा बढ़ा रही हैं। घरों में विशेष पकवान बनाने की तैयारी भी होने लगी है। तो वहीं, मुख्य रुप से मिष्ठान आदि की खरीददारी भी लोगों ने कर ली है। मिष्ठान खरीदने लगभग सभी मिठाई दुकानों में दिनभर ग्राहकों की भीड़ देखने को मिली। चूंकि, दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का विशेष पूजन करने के उपरांत प्रसाद वितरण की परम्परा का निर्वहन भी होना है, इस लिहाज से आवश्यक सामग्री की खरीददारी अधिकांश लोगों ने कर ली है
आकाश में दिखेगी रॉकेट और अनारदाना की रंगबिरंगी रोशनी
दीपोत्सव मौके पर दक्षिण भारत के शिवा-काशी जिले के बने पटाखों के शोर से नगर सहित जिले भर के ग्रामीण अंचलों की गलियां गंूजेंगी। मॉडल स्कूल परिसर में करीब 50 दुकान संचालकों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों से पटाखों की बिक्री शुरू कर दी है। जिसका उपयोग कर लोगों ने धनतेरस से ही जश्र मनाना शुरू कर दिया है, जो अब दीपावली के बाद तक कायम रहेगा। दुकानों में व्यवसायियों ने हर रेंज के पटाखे रखे हैं। पटाखा बाजार में पटाखे हर वैराइटी में उपलब्ध हैं, जिसमें फुलझड़ी, रस्सी बम्म, राकेट, लड़ी पटाखा समेत अन्य पटाखे बिक्री के लिए सजाये गए हैं। हर वर्ग और उम्र के लोग पटाखों को जला सकें, इस प्रकार से पटाखा दुकानों में ग्राहकों को उनकी मनपसंद सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। माना जाता है कि दीपावली पर पटाखे के शोर से लक्ष्मी घर में विराजती हैं। इसी मान्यता के तहत लोग घरों में रोशनी कर लक्ष्मी पूजा-पाठ के साथ पटाखे का शोर करते हैं। ऐसे उत्साह के क्षणों में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी शामिल होते हैं। दुकानदारों ने बताया पटाखा बाजार में 2 रु. की फुलझड़ी से लेकर 150 रु. तक का राकेट लांचर मौजूद हैं।
बाजार में विभिन्न तरह के पटाखे मौजूद
पटाखा बाजार में सोवियत राकेट ईगल की धूम है, जो ग्राहकों को ज्यादा पसंद आ रहा है। दुकानदार रमेश सोनी ने बताया यह राकेट आसमान की ओर छलांग लगाकर सप्तरंगी रोशनी बिखेरने के साथ तेज आवाज कर धमाका करेगा। वहीं, एक ऐसा राकेट है, जिसके एक डिब्बे में 240 प्रकार की सप्तरंगी कलर के साथ आवाजें निकलेगी। ऐसे विभिन्न प्रकार के पटाखों के स्टॉल लगाये गए हैं, जो पहली नजर में बच्चों और युवाओं को पसंद आ जायें।
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