Fake vehicle transfer case gained momentum, demand for action against those responsible including the in-charge
विंध्य वाणी, रीवा। परिवहन कार्यालय में बिना वाहन मालिक के आए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कर दिया गया। इस मामले के सामने आने के बाद आनन-फानन में आरटीओ कार्यालय से इसे निरस्त कर दिया गया। मामले में जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग की गई है। इस संबंध में पूर्व पार्षद रामप्रकाश तिवारी डैडू ने कलेक्टर को पत्र लिखा है और संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग की है।
पत्र में यह लिखा…
पूर्व पार्षद रामप्रकाश तिवारी ने लिखा है कि दैनिक अखबारों सहित अन्य शोसल मीडिया से आरटीओ में हुए फर्जीवाड़ा के संबंध में खबर प्रकाशित हुई है। जिसमें बताया गया है कि आरटीओ कार्यालय में अधिकारी-कर्मचारियों की साठगांठ से देवेन्द्र मिश्रा पिता हीरालाल मिश्रा निवासी बूढ़ा शिवराजपुर थाना नईगढ़ी के वाहन क्रमांक एमी 17 सीबी 5846 क्रेटा गाड़ी को अभिषेक द्विवेदी पिता विजय कांत द्विवेदी निवासी जवा द्वारा फर्जी तरीके से अपने नाम करा लिया गया। जिसकी जांच की गई तो यह फर्जीवाड़ा सामने आया और आरटीओ द्वारा इस फर्जी तरीके से हुए रजिस्ट्रेशन को निरस्त कर दिया गया। बड़ा सवाल यह है कि आखिर फर्जी दस्तावेजों से यह रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर हुआ कैसे? इतना ही नहीं आमजन को छोटे.छोटे दस्तावेजों के लिए भटकाने वाले आरटीओ कार्यालय में इस प्रकार की फर्जीवाड़ा कैसे हुआ? जानकारी के मुताबिक वाहन ट्रांसफर शाखा में अंर्तराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी रहीं दर्शना वाकड़े पदस्थ हैं, जिनके द्वारा दस्तावेजों की जांच की जाती है। इतना ही नहीं इन दस्तावेजों की जांच में आखिर कहां कमी रह गई कि बिना वाहन मालिक के आए ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कर दिया गया। महज फर्जी रजिस्ट्रेशन निरस्त कर देना इस बड़े फर्जीवाड़े का अंत नहीं है, इसमें सभी जिम्म्ेदार अधिकारी/कर्मचारियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए जिन्होंने इस फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कर दिया गया।
जांच की मांग
इस मामले की बरीकी से जांच कराकर संबंधित अधिकारी.कर्मचारियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि आरटीओ में चल रहे इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लग सके। पूर्व में भी आरटीओ कार्यालय घूसखोरी के लिए चर्चा में रहा है और इस प्रकार के मामले यहां हो रहे फर्जीवाड़े का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
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