Even after investigation found fraud of Rs 12 lakh, recovery action was not taken:रीवा। ग्रामीण विकास के नाम पर दोनों हाथों से लूट मची है। चाहे सड़क व भवन निर्माण कार्य के नाम पर हो या फिर गांवों में पेयजल के नल जल योजना का मामला, हर जगह केवल भ्रष्टाचार किया गया है। जमीन पर न तो निर्माण कार्य दिखते न योजनाएं। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार जल संरक्षण व पेयजल के नाम पर हो रहा है। विश्व बैंक से लिए गए ऋण के पैसे का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। ग्रामीण विकास में भ्रष्टाचार का एक ऐसा ही मामला मऊगंज जिले की नईगढ़ी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत कुसहा का सामने आया है, जिसमें पंचायत सचिव, सरपंच व जनपद के उपयंत्री ने मिल कर शासन को १२ लाख का चूना लगाया है। कमिश्रर द्वारा करायी गई जांच में तीनों पर ४-४ लाख से अधिक की वसूली भी प्रस्तावित की गई है लेकिन जिला पंचायत में कार्यवाही के लिए फाइल लंबित है।
यहां विडम्बना इस बात की है कि आरईएस के अधीक्षण यंत्री व कार्यपालन यंत्री की जांच में अनियमितता प्रमाणित होने के बाद भी निम्न स्तर के उपयंत्रियों, जिनके द्वारा बंदरबांट की जाती रही, उन्हें पुन: जांच दी जाती है और फिर वसूली की राशि को कम किया जाता है या फिर फर्जीवाड़ा करने वालों को क्लीन चिट दी जाती है। जांच के बाद जैसे ही संबंधितों के खिलाफ जिला पंचायत में धारा ४०/६९ का प्रकरण दर्ज हो जाता है। मामले को रफा-दफा करने का खेल शुरू हो जाता है। इससे सुनवाईकर्ता अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
कई ऐसे मामले हंै जिनमें पूर्व में जांच हो चुकी है, वसूली भी नियत है, इसके बावजूद उनकी पुन: जांच कराकर वसूली राशि को न के बराबर कर खानापूर्ति की गई। पिछले महीने में ही १५ पंचायतों में ८० लाख के करीब वसूली का मामला सामने आया था लेकिन उसे अब पुन: जांच कर और दोषियों कथित कार्य का दस्तावेज फिर मंगा कर उन्हें अभयदान देने की कोशिश की जा रही है।
ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
अधीक्षण यंत्री द्वारा मई २०२३ में कमिश्रर को भेजे गए जांच प्रतिवेदन के मुताबिक ग्राम पंचायत कुसहा में पीसीसी रोड के नाम पर पंच परमेश्वर योजना से १२ लाख ४६ हजार ९०० व मनरेगा योजना से ४२ हजार ८५८ रुपए कुल १२ लाख ८९ हजार ७५८ खर्च किए गए लेकिन मौके पर एक भी काम गुणवत्तायुक्त नहीं मिला। इसमें सरपंच अली अहमद, सचिव सीमा तिवारी व उपयंत्री भोला प्रसाद को पूर्णतया दोषी करार देते हुए वसूली प्रस्तावित की गई है। इसी प्रकार बम्हनिया तालाब व गोसाई तारा तालाब के गहरीकरण व सौंदर्यीकरण के नाम पर क्रमश: २३४८८० व ३५४८८० रुपए की एएस व टीएस राशि भी खर्च की गई।
लेकिन जांच टीम को संबंधित कार्यों का किसी के द्वारा दस्तावेज नहीं दिया गया। जांच में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है कि रोजगार मूलक योजना मनरेगा से काम कराया गया लेकिन एक भी मजदूरों ने काम नहीं किया। पूरा काम जेसीबी मशीनों से कराया गया जो मनरेगा अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है और वित्तीय अनिमितता की श्रेणी में है। इस गड़बड़ी के लिए भी तीनों बराबर के दोषी करार दिए गए हैं। लेकिन वसूली नहीं प्रस्तावित की गई।