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रीवा। कोरोना काल पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती लेकर आया था। यह ऐसा दौर था, जिसमें चिकित्सक भी खुद को असहाय महसूस करने लगे थे। उनके सामने मरीज गंभीर हालत में आते थे, लेकिन इस मर्ज की दवा नहीं होने से वे भी भरोसा नहीं दे पा रहे थे कि ठीक कर लेंगे।
श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के कई चिकित्सक जो उस दौरान प्रबंधन के साथ ही चिकित्सीय कार्य कर रहे थे, उनके लिए खतरा अधिक था। अस्पताल में सेवाएं देते हुए मरीज के संपर्क में आने की वजह से सीनियर एवं जूनियर डॉक्टर्स भी कोरोना पॉजिटिव हुए थे।
इसमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व डीन डॉ. एपीएस गहरवार, डॉ. मनोज इंदुलकर, तत्कालीन अधीक्षक डॉ. एसपी गर्ग, डॉ. नरेश बजाज थे। जो उस दौरान खुद बीमार हुए, लेकिन जैसे ही राहत मिली सेवा में वापस लौट आए। ऐसा भी नहीं कि केवल सीनियर ने ऐसा किया हो, जूनियर डॉक्टर्स ने भी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा की। इसमें डॉ. मिली, डॉ. चागटे, डॉ. रामकृष्ण सहित अन्य ऐसे रहे जो आपातस्थिति में 24 घंटे सेवा देते रहे।
इनके साथ ही कुछ ऐसे चिकित्सक भी रहे हैं जिन्होंने अपने काम से सबको आकर्षित किया। उसमें कैंसर यूनिट के डॉ. अजीत मार्को, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष सिंह, दंत रोग की डॉ. गीता त्रिपाठी सहित अन्य कई शामिल हैं। चिकित्सीय पेशे में शहर के कुछ ऐसे चिकित्सक हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी इसी क्षेत्र में सेवा दे रही है।
डॉ. आरएल तिवारी ने लंबे समय तक मरीजों को सेवा दी। इसके बाद उनके पुत्र डॉ. आशीष तिवारी सेवा में आए और अब तीसरी पीढ़ी में अपूर्वा एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। इसी तरह डॉ. पीएन गर्ग के बाद पुत्र डॉ. एसपी गर्ग और तीसरी पीढ़ी में शिवांगी एमबीबीएस कर रही हैं। इस परिवार में कई अन्य लोग चिकित्सीय पेशे से जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा भी रीवा के कई ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने कोरोना कॉल में कड़ी मेहनत कर बीमारी को मत दी। बता दें कि तत्कालीन सीएमएचओ डॉ बीएल मिश्रा सहित जिले भर में पदस्थ्य डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत की और लोंगो को इस बीमारी से निजात दिलाई, अभी भी इस बीमारी से जंग लदजी जा रही है कोविड टीकाकरण जारी है।