Dangerous hope of promotion in Rewa Municipal Corporation, retired amidst broken dreamsरीवा। नगर निगम में प्रमोशन का मुद्दा राजनैतिक दलों के पेच में हमेशा ही उलझा रहा है। जब भी प्रमोशन की बात निगम में होती थी तो राजनैतिक दबाव के चलते वह उलझ जाती थी। वरिष्ठ अधिकारी भी राजनैतिक पेंच की बात कर कर्मचारियों को पाठ पढ़ाते रहे हैं। हालांकि अब वर्तमान में हालात बदले हैं, अधिकारी-कर्मचारियों के प्रति महापौर अजय मिश्रा बाबा का विशेष ध्यान रहता है, ऐसे में यदि अधिकारी-कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ मिलता है तो यह उनके लिए बड़ी सौगात होगी। हालांकि महापौर ने कई दफा अधिकारी-कर्मचारियों को जल्द प्रमोशन की बात कही है बीच में प्रमोशन को लेकर कुछ नस्तियां भी बढ़ी लेकिन वह फिर दब गईं।
कुछ चुनिंदा लोगों को राजनैतिक दखल के चलते प्रमोशन का लाभ मिल गया। हैरानी इस बात की है कि ऐसे कर्मचारी उच्च पद में प्रमोशन के पात्र तो हैं लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिल रहा है जबकि उनसे काम उसी रैंक का लिया जा रहा है। सुविधाएं और वेतन भी उसी रैंक की दी जा रही है लेकिन नाम के आगे प्रभार जुड़ा हुआ है। जबकि पद रिक्त पड़े हैं, उनमें आसानी से ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस राजनैतिक पेच की बात पूर्व में वरिष्ठ अफसर प्रमोशन के नाम पर करते रहे हैं, वह भी अब नहीं है।
निर्माण में ज्यादा जरूरत
बता दें कि नगर निगम के निर्माण शाखा के अधिकतर पद प्रभार पर चल रहे हैं। जबकि नियमत: प्रभार की जगह पात्र को प्रमोशन इस पर दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए निगम में चार रिक्त पद कार्यपालन यंत्री के हैं। जिसमें प्रभार पर कार्यपालन यंत्री एसएल दहायत, राजेश सिंह, एचके त्रिपाठी काम कर रहे हैं। प्रमोशन की आस लगाए बैठे एपी शुक्ला व एसके चतुर्वेदी को सहायक यंत्री के पद से ही सेवानिवृत्त होना पड़ा। हालांकि वह कार्यपालन यंत्री के प्रभार पर ही काम कर रहे थे। जबकि इन रिक्त पदों पर इनको प्रमोशन दिया जा सकता है क्योंकि वेतन और सुविधाएं इसी पद के अनुसार हैं। इसी प्रकार सहायक यंत्री के 7 रिक्त पद हैं जिसमें पांच पद भरे हुए है। यह पद भी कार्यपालन यंत्री में प्रमोशन दिए जाने के बाद रिक्त हो जाएंगे। जिसके बाद 7 उपयंत्रियों को निगम प्रशासन प्रमोशन देकर सहायक यंत्री बना सकता है लेकिन इस पर किसी ने विचार नहीं किया। प्रभारी सहायक यंत्री के रूप में एसके गर्ग, बीएस बुदेला, पीएन शुक्ला, संतोष पांडेय, राजेश मिश्रा सहित अन्य काम कर रहे हैं। इनमें से कईयों की सेवानिवृत्ति नजदीक है। सहायक यंत्री के प्रभार पर काम कर रहे दिलीप त्रिपाठी सेवानिवृत्त हो गए लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। इसी प्रकार कई उपयंत्री व सहायक यंत्री तो ऐसे हैं जो आगामी 1-2 वर्षों में रिटायर भी हो जाएंगे, यदि उन्हें प्रमोशन मिलता है तो वह उच्च पद से रिटायर होंगे, जो उनके भविष्य के लिए भी अच्छा होगा।
इसी प्रकार निगम के राजस्व व अन्य शाखाओं में काम प्रभार पर चल रहा है, कई अधिकारी उच्च पद के पात्र होते हुए भी उसी कुर्सी पर डटे हुए हैं। जबकि निगम चाहे तो ऐसे पदों को प्रमोशन से भर सकता है। राजस्व अधिकारी जैसे पद रिक्त होने के बाद निगम ने इन पदों पर प्रमोशन देकर भरने की कोई योजना अब तक नहीं बनाई। स्वास्थ्य विभाग में भी स्वास्थ्य अधिकारी सहित अन्य पद प्रभार पर चल रहे हैं।