Commissioner Higher Education tightened crackdown on sports officials:रीवा।जिले के सरकारी महाविद्यालयों में पदस्थ क्रीड़ा अधिकारियों पर नकेल कसी गई है। अब क्रीड़ा अधिकारियों को न्यूनतम 5 घंटे महाविद्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। यूजीसी के आदेशों का हवाला देते हुए उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने उक्त निर्देश जारी किए हैं। जारी पत्र में उल्लेखित है कि क्रीड़ा अधिकारी महाविद्यालयीन समय में कक्षाओं से पहले या बाद में सुबह 2 घंटे व शाम को 1 घंटे मैदान पर रहेंगे।
इस दौरान क्रीड़ा अधिकारी खेल मैदान में महाविद्यालय के छात्रों या खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित करेंंगे। आयुक्त ने विभाग को भी खेलकूद व शारीरिक शिक्षा के लिए अलग से समय-सारिणी में प्रावधान करने के लिए कहा है। क्रीड़ा अधिकारियों के क्रियाकलाप की सतत् मानिटिरिंग प्राचार्य द्वारा की जायेगी। प्राचार्य द्वारा सौंपे जाने वाले अन्य कार्य भी क्रीड़ा अधिकारियों को करने होंगे। गौरतलब है कि प्रत्येक सरकारी महाविद्यालय में एक क्रीड़ा अधिकारी का पद स्वीकृत हैं।
जहां नियमित क्रीड़ा अधिकारी पदस्थ नहीं हैं, वहां अतिथि विद्वान क्रीड़ा अधिकारी कार्यरत् हैं, जिन्हें लगभग 50 हजार मासिक मानदेय मिलता है। वहीं, नियमित क्रीड़ा अधिकारियों को 50 हजार से डेढ़ लाख तक प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। इसके बावजूद जिले के महाविद्यालयों से निकले खिलाड़ी किसी राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं ले पाते। क्योंकि उन्हें महाविद्यालय स्तर पर ठीक से प्रशिक्षण नहीं मिल पाता और न ही आवश्यक खेल सुविधाएं मिल पा रही हैं। क्रीड़ा अधिकारियों की उदासीनता के चलते यह स्थिति निर्मित है, जिसमें सुधार के लिहाज से आयुक्त उच्च शिक्षा ने यह जहमत उठाई है।
आयुक्त, उच्च शिक्षा ने पत्र में स्पष्ट किया है कि क्रीड़ा अधिकारी द्वारा विद्यार्थियों को विभिन्न खेलों की तकनीकें सिखाई जायेंगी। खेल कैलेण्डर के अनुसार खेल गतिविधियां आयोजित करना, खेल योजना बनाना व खेल उपकरण उपलब्ध कराना, खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने छात्रों को प्रोत्साहित करना एवं वार्षिक खेल गतिविधियों का आयोजन क्रीड़ा अधिकारी द्वारा कराया जायेगा। छात्रों को शारीरिक व मानसिक रुप से स्वस्थ्य रहने में भी क्रीड़ा अधिकारी सहायता करेंगे।