सतना। मध्य प्रदेश में 2001 से टू चाइल्ड पॉलिसी लागू है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत अगर तीसरा बच्चा 26 जनवरी 2001 के बाद जन्मा है तो उसके माता-पिता को सरकारी नौकरी का पात्र नहीं माना जाएगा। इसी नियम के दायरे में रामनगर ब्लाक के शिक्षक शिवकुमार लाल चतुर्वेदी फंस गए हैं। शासकीय सेवा में रहने के दौरान इनके चार बच्चों की शिकायत की जांच एसडीएम रामनगर ने की। इसमें शिकायत सही पाई गई है। इसके आधार पर एसडीएम ने 22 दिसंबर को शिवकुमार की सेवा समाप्त करने की अनुशंसा सहित जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को भेज दिया है। चूंकि मामला सेवा समाप्ति का है लिहाजा इस मामले में डीइओ द्वारा विभागीय जांच संस्थित की जाकर जांच उपरांत प्रतिवेदन शासन को सेवा समाप्ति के लिए भेजा जाएगा। वर्तमान में मिरगौती संकुल अंतर्गत बिजौरा के जनशिक्षक शिवकुमार लाल चतुर्वेदी की सरकारी नौकरी में तलवार लटक गई है। बताया गया है कि इनकी 2001 में संविदा शिक्षक वर्ग 2 के रूप में नौकरी लगी थी। इसके बाद इनका एक अप्रैल 2007 में अध्यापक संवर्ग में संविलियन हुआ। 2015 में इन्हें क्रमोन्नति मिली तथा 2018 में इनकी शिक्षक संवर्ग में नियुक्ति हुई। एसडीएम रामनगर के प्रतिवेदन में उल्लेखित है कि 1 जुलाई 2019 में इनकी सेवा पुस्तिका में चार संताने होना दर्ज है। लेकिन एक अप्रैल 2021 को इन्होंने अपने दो बच्चों का गोदनामा प्रस्तुत किया। जिसमें इन्होंने अपने बच्चे भाई को गोद देना बताया। जिसके आधार पर सेवा पुस्तिका से इनके दो बच्चों का नाम विलोपित कर दिया गया। लेकिन एसडीएम ने अपने जांच प्रतिवेदन में उल्लेखित किया है कि इनके द्वारा तथ्य छिपाने के लिए तमाम फर्जीवाड़े किए गए हैं और इन फर्जीवाड़ों के आधार पर एक स्कूल संचालक ने इनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने थाने को पत्र भी लिखा है। साथ ही गोदनामा की तय प्रक्रिया का पालन होना भी नहीं बताया है। इस आधार पर एसडीएम ने सेवा समाप्ति की अनुशंसा कर दी है। मामले में जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय से बताया गया है कि एसडीएम का प्रतिवेदन प्राप्त हो गया है। चूंकि सेवा समाप्ति दीर्घ शास्ति होती है। लिहाजा बिना विभागीय जांच के अगर ऐसा कर दिया जाएगा तो कोर्ट से राहत मिल जाएगी। लिहाजा इस मामले में संबंधित के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित की जाएगी। उसके बाद मिले निष्कर्ष के आधार पर शासन को सेवा समाप्ति के लिये लिखा जाएगा।
००००००००००००