रीवा। वन विभाग में वन रक्षकों के पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। वन विभाग ने आदेश जारी कर वन विीज्ञाग अंतर्गत वन रनरक्षकों को वनपाल के रूप में सहायक परिक्षेत्र वृत्त का उच्चतर पद का कार्यवाहक प्रभार दिए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है। पर सचिव मप्र शासन अशोक कुमार ने जारी आदेश जारी कर स्वीकृति प्रदान कर दी है। आदेश मेंकहा है कि यथा संशोधित मप्र तृतीय श्रेणी वन सेवा भर्ती नियम 2000 की अनुसूची 4 में उल्लेखित प्रावधान अनुसार वन रक्षक को वनपाल पद का कार्यवाहक प्रभार देने के लिए वृत्त स्तर पर वन संरक्षक द्वारा मनोनीत तीन सहायक वन संरक्षक स्तर के अधिकारी एवं तीन वनमंडलाधिकारी स्तर की छानबीन समिति बनाई जाए। समिति में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग का एक सदस्य अनिवार्य रूप से रखा जाए। 24 जनवरी 2020 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार समयमान वेतनमान के पात्र शासकीय सेवक ही उच्चतर पद का कार्यभार प्राप्त करने के पात्र होंगे। कार्यवाहक प्रभार के लिए वनरक्षक को वनपाल के रूप में परिक्षेत्र सहायक वृत्त की पात्रता के लिए विगत पांच वर्षों में संनिष्ठा पर संदेह नहीं होना चाहिए। वनरक्षक को प्रशिक्षण उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। आदेश में कहा गया है कि कार्यवाहक प्रभार वाले कर्मचारी को अपने पदनाम के साथ कार्यवाहक शब्द का उल्लेख करना अनिवार्य होगा।
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n7 सालों में डेढ़ सौ करोड़ का घोटाला
nरीवा। जनपद पंचायत रीवा के अंतर्गत ग्राम पंचायत हरिशंकर में पिछले 7 सालों के दौरान 150 करोड़ का घोटाला सामने आया है। यह सनसनीखेज जानकारी आरटीआई के तहत निकाले गए पंचायत के दस्तावेजों से सामने आई है। सरपंच, सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक ने मिलकर केवल योजनाएं बनाई और उन्हें क्रियान्वित किए बिना सिर्फ राशि का आहरण किया। जिन जिन कार्यों के लिए राशि का आहरण किया गया है उनमें से अधिकांश कार्य ग्राम पंचायत हरिशंकर में कराए ही नहीं गए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता सुखेंद्र सिंह द्वारा घोटाला सामने आने के बाद इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस एवं ईओडब्ल्यू से भी की गई है।
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nलोकायुक्त पुलिस में की गई शिकायत के मुताबिक हरिशंकर ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच रामकली सिंह एवं तत्कालीन सचिव शिव प्रताप सिंह एवं ग्राम रोजगार सहायक अजय पांडे द्वारा आपस में मिलकर वर्ष 2015 से वर्ष 2022 तक के दरम्यिान विकास कार्यों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। कई कार्यों को मौके पर कराया ही नहीं गया है किंतु उस मद की राशि आहरित कर ली गई है। ग्राम पंचायत द्वारा जो कार्य कराए भी गए हैं उनमें भी व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। चेक डैम का निर्माण गरवधा नाला कछियान टोला में 10 लाख की लागत से कराया जाना दिखाया गया है, जबकि इसकी वास्तविकता कुछ और है। शिकायत में कहा गया है कि वर्ष 2021 में 10 लाख रुपए की लागत से नाला घाट का निर्माण कराना बताया गया है जबकि वास्तविकता यह है कि किसी प्रकार का घाट का निर्माण नहीं किया गया। इसी तरह अहरी टोला शाला भवन की बाउंड्री निर्माण, खेत तालाब योजना में नागेंद्र सिंह के खेत में निर्माण करना बताया गया है। इसी तरह शीतला तालाब का विस्तारीकरण किया जाना दर्शाया गया है। लेकिन मौके पर निरीक्षण करने पर कोई भी कार्य नहीं कराया गया है। इसके अलावा खेल मैदान, वृक्षारोपण, समुदायिक भवन मरम्मत, सीसी रोड निर्माण, कपिलधारा योजना के अंतर्गत कूप निर्माण आदि में व्यापक पैमाने पर हेराफेरी की गई है। अपने सगे संबंधियों के नाम से कपिलधारा योजना का लाभ लिया गया है। केवल राशि निकाली गई है जबकि निर्माण किया ही नहीं गया। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कराए बगैर केवल राशि का आहरण किया गया है।
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शिकायत में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन सरपंच सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक द्वारा सरकारी राशि का आहरण करने के लिए मेहमान क्रेशिंग प्लांट जो सरपंच रामकली के पति नंदकिशोर सिंह का है। उन्हीं के खाते में पंचायत के विकास मद की 80 प्रतिशत राशि हस्तांतरित की गई है। इसी प्रकार रतन किराना जनरल स्टोर सिरमौर चौराहा रीवा, किरण बोरवेल, धीरेंद्र लाइट मशीनरी स्टोर, नारायण ट्रेडर्स, अजय सिंह गहरबार, मुरूम सप्लायर, अरूसा कंप्यूटर, फोटोकापी सेंटर, नितिन फोटोकॉपी फ्लेक्स स्टेशनरी के नाम से भारी भरकम भुगतान किया गया है। इनमें से अधिकांश राशि अनियमितता की भेंट चढ़ गई। इसी तरह मनरेगा के कार्य में भी ज्योति सिंह पुत्री महेंद्र सिंह, सुनीता सिंह पति पुष्पेंद्र सिंह, विजय सिंह पिता रामकली सिंह, नीलम सिंह पत्नी भूपेंद्र सिंह सहित कई ऐसे लोगों को मनरेगा के तहत भुगतान किया गया है लेकिन उनके द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया है। शिकायतकर्ता सुखेंद्र सिंह का दावा है कि 2015 से 2022 तक हरिशंकर पंचायत में किए गए कार्यों की विस्तृत जांच की जाए तो पूरे घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।
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