रीवा। स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 का आगाज हो चुका है, इसके लिए नगर निगम द्वारा तैयारियां की जा रही है। पिछले वर्ष की रैंक से रीवा को और टॉप पर लाने का प्रयास महापौर अजय मिश्रा बाबा व निगमायुक्त मृणाल मीना कर रहे हैं लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए कुछ प्राइवेट कंपनियों की मनमानी से इसमें झटका लग सकता है। बता दें कि इस वर्ष नगर निगम द्वारा आईईसी(इनफार्मेशन एजुकेशन कम्प्युनिकेशन) के लिए ओम सांई विजन संस्था को अनुबंधित किया गया है। जिसमें शहर के वार्डो में आईईसी गतिविधियों के लिए सुपरवाईजर व मेंबर रखे गए हैं। इन्हीं गतिविधियों को करने वाले कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि जब उनको भर्ती किया गया तो सुरर वाईजर की 15 हजार व मेंबर की 10 हजार सैलरी बताई गई थी लेकिन अब मेंबर को 7 हजार रुपए सैलरी देने की बात कही जा रही है कि जबकि नगर निगम से हुए अनुबंध में इससे अधिक सैलरी देने की बात कंपनी ने कही है। हालांकि संस्था के टीम लीडर ने कर्मचारियों द्वारा लगाए जा रहे आरोप को निराधार बताते हुए कहा है कि वह राजनीति कर रहे हैं।
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अब तक वेतन भी नहीं दिया
कर्मचारियों ने बताया कि संस्था ने उनको बीते नवंबर माह से काम कराना शुुरु किया है। स्वच्छता सर्वेक्षण का ज्यादा से ज्यादा काम उनके द्वारा वार्डो में कर भी दिया गया लेकिन अब तक मानदेय नहीं दिया जा रहा है। बताया कि इसी बात पर संस्था अड़ी हुई है कि कम मानदेय दिया जाएगा, जब पूरा वेतन देने की बात कही गई तो नोकरी से निकाल दिया गया। बताया कि बुधवार को टीम लीडर से मिलने का इंतजार भी किया लेकिन वह मिले नहीं। बताया कि संस्था के जो वरिष्ठ अधिकारी हैं वह अभद्रता करते हैं।
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क्या है आईईसी…
बता दें कि नगर निगम द्वारा हर वर्ष ही आईईसी गतिविधियों के लिए ठेका किया जाता है, इसमें जो भी कंपनी अनुबंधित की जाती है, उसके द्वारा वार्डो में जागरूकता कार्यक्रम कराने, फीडबैक, स्वच्छता सर्वेक्षण में पूंछे जाने वाले सवाल, गीला-सूखा कचरा अलग-अलग सहित स्वच्छता सर्वेक्षण के संबंध में जानकारी देने का काम किया जाता है। इस वर्ष यह ठेका ओम सांई विजन इंदौर नाम की संस्था को मिला है।
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वर्जन
आईईसी के लिए ओम सांई विजन संस्था को ठेका दिया गया है। उनके द्वारा ही कर्मचारी रख गतिविधियां कराई जा रही हैं। निगम से इनका भुगतान नहीं होता है। फिलहाल कोई शिकायत हम तक नहीं आई है।
एसके चतुर्वेदी, नोडल अधिकारी स्वच्छता सर्वेक्षण 2023।
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कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो फ्रेशर हैं, उन्होंने झूठ बोला कि वह आईईसी में काम कर चुके हैं लेकिन जब काम किया तो इस बात की जानकारी हुई। वहीं राजनीति कर रहे हैं, उनके द्वारा लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। योग्यता के अनुसार ही वेतन भुगतान की बात कही गई है।
संदीप माने, टीम लीडर ओम सांई विजन इंदौर।
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