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रीवा/प्रयागराज. रीवा आनंद विहार सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन लूट की वारदात को अंजाम दिया गया है! अज्ञात बदमाश यात्री का मोबाइल ही छुड़ा कर भाग गए. मामले की शिकायत पीड़ित यात्री ने प्रयागराज जक्शन मे जीआरपी थाने मे दर्ज कराई है. बीते दिनों हुई इस घटना मे पुलिस मामले की जांच मे जुटीं हुई है. आपको बता दें कि फतेहपुर के आलमपुर के रहने वाले मुकेश कुमार ने बताया कि ट्रेन जब जमुना बृज के समीप धीमी गति से चलने लगी तो एक युवक आया और मोबाइल छुड़ा कर भाग निकला. जब तक की वह कुछ समझ पाता कि ट्रेन की गति बढ़ गई. जीआरपी ने पीड़ित की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच मे लिया है. अज्ञात आरोपी की तलाश मे पुलिस जुटीं है. आपको बता दें की पहले भी ट्रेन मे महिला का पर्स छुड़ा लेने की घटना सामने आ चुकी है.
महिला स्वसहायता समूह के दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना से महिलाएं हुई आत्मनिर्भर
रीवा.मन में यदि चाह हो तो राह अपने आप निकल आती है। गंगेव विकासखण्ड के दादर कोठार में रहने वाली निशा पटेल पूर्व से ही कृषि व पशुपालन का कार्य करती थीं। उनके मन में इच्छा हुई कि पशुपालन करने वाले लोगों से दूध का संग्रहण किया जाय। उन्होंने दस स्वसहायता समूह के सदस्यों जो पशुपालन का कार्य करते थेए के साथ बैठक कर दुग्ध उत्पादन एवं उसके विक्रय पर चर्चा की। आम सहमति बनने पर निर्णय लिया गया कि दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना हो जाय तो समूह के सदस्यों के पशुओं द्वारा उत्पादित दूध गांव मंल ही बिक जायेगा। निशा पटेल ने दुग्ध व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों से विचार विमर्श कर बीएमसी स्थापना हेतु चर्चा की तथा दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना के लिए एक हजार लीटर की बीएमसी एवं फैट मशीन लेकर एक किराये की दुकान में संग्रहण केन्द्र संचालित किया। ग्राम में स्वसहायता समूहों से उत्पादित 6 रूपये प्रति फैट की दर से दूध क्रय किया जाना प्रारंभ किया तथा संग्रहित दूध को बड़े व्यापारियों को 7.50 रूपये प्रति फैट की दर से विक्रय किया जा रहा है। संतोषी स्वसहायता समूह की सदस्य निशा बताती हैं कि उन्हें प्रतिमाह 15 से 16 हजार रूपये की आय हो रही है उनका भविष्य में दूध से बने उत्पाद बनाने का भी संकल्प है। वह कहती हैं कि स्वसहायता समूह से जुड़कर उनके जीवन की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और मेरा परिवार खुशहाल है तथा मेरे सामाजिक स्तर के मान.सम्मान में भी वृद्धि हुई है। इसका श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को है जिन्होंने हम गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने के बारे में सोचा।
रीवा.मन में यदि चाह हो तो राह अपने आप निकल आती है। गंगेव विकासखण्ड के दादर कोठार में रहने वाली निशा पटेल पूर्व से ही कृषि व पशुपालन का कार्य करती थीं। उनके मन में इच्छा हुई कि पशुपालन करने वाले लोगों से दूध का संग्रहण किया जाय। उन्होंने दस स्वसहायता समूह के सदस्यों जो पशुपालन का कार्य करते थेए के साथ बैठक कर दुग्ध उत्पादन एवं उसके विक्रय पर चर्चा की। आम सहमति बनने पर निर्णय लिया गया कि दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना हो जाय तो समूह के सदस्यों के पशुओं द्वारा उत्पादित दूध गांव मंल ही बिक जायेगा। निशा पटेल ने दुग्ध व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों से विचार विमर्श कर बीएमसी स्थापना हेतु चर्चा की तथा दुग्ध संग्रहण केन्द्र की स्थापना के लिए एक हजार लीटर की बीएमसी एवं फैट मशीन लेकर एक किराये की दुकान में संग्रहण केन्द्र संचालित किया। ग्राम में स्वसहायता समूहों से उत्पादित 6 रूपये प्रति फैट की दर से दूध क्रय किया जाना प्रारंभ किया तथा संग्रहित दूध को बड़े व्यापारियों को 7.50 रूपये प्रति फैट की दर से विक्रय किया जा रहा है। संतोषी स्वसहायता समूह की सदस्य निशा बताती हैं कि उन्हें प्रतिमाह 15 से 16 हजार रूपये की आय हो रही है उनका भविष्य में दूध से बने उत्पाद बनाने का भी संकल्प है। वह कहती हैं कि स्वसहायता समूह से जुड़कर उनके जीवन की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और मेरा परिवार खुशहाल है तथा मेरे सामाजिक स्तर के मान.सम्मान में भी वृद्धि हुई है। इसका श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को है जिन्होंने हम गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने के बारे में सोचा।