रीवा। विंध्या अब उम्र दराज हो गई है। चलने फिरने में भी दिक्कतें हो रही है। ऐसे में विंध्या को व्हाइट टाइगर सफारी से हटा दिया गया है। विंध्या को इनक्लोजर में रखा जा रहा। वहीं सफारी में खुले जंगल में सिर्फ रघू ही घूम रहा है। पर्यटकों को अब जोड़े में बाघों को देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि विंध्य में अंतिम सफेद बाघ विराट की मृत्यु जुलाई 1976 में हो गई थी। इसके बाद विंध्य की धरती पर एक भी सफेद बाघ नहीं बचे थे। चिडिय़ाघर की स्थापना हुई तो विंध्या के रूप में 40 साल बाद सफेद बाघ की वापसी हुई। अब यही विंध्या उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। विंध्या को जब मुकुंदपुर लाया गया था तब उसकी उम्र सिर्फ 9 साल थी। सफारी की शान थी। प्रबंधन और प्रशासन को उम्मीद थी कि विंध्या से ही मुकुंदपुर में सफेद बाघों का कुनबा आगे बढ़ेगा। हालांकि ऐसा संभव नहीं हो पाया। उम्र बढऩे के कारण विंध्या की सेहत पर असर पडऩे लगा है। अब विंध्या 15 साल की हो गई है। उमद्रराज होने के कारण उसे चलने फिरने और उठने बैठने में भी दिक्कतें हो रही है। यही वजह है कि प्रबंधन ने विंध्या को सफारी से हटाकर इनक्लोजर में शिफ्ट कर दिया है। पर्यटकों को विंध्या दिखाई तो देगी लेकिन उसे खुले में अटखेलियां करते हुए नहीं देखा जा सकेगा। वर्तमान में सिर्फ रघू को ही व्हाइट टाइगर सफारी में छोड़ा गया है।
हर दिन हो रही सेहत की जांच
अब तक विंध्या को सफारी में ही रखा गया था। वहीं पर विंध्या घूमफिर रही थी। पर्यटकों को भी खूब रास आ रही थी। इसे कई दिनों से सफारी में बने बाड़े में शिफ्ट कर दिया गया है। अब उसकी देखरेख नियमित की जा रही है। हर दिन डॉक्टर परीक्षण कर रहे हैं। विंध्या की निगरानी बढ़ा दी गई है।
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