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रीवा। अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय में नियमित तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। करीब 32 वर्ष बाद विश्वविद्यालय में यह नियुक्ति प्रक्रिया होने जा रही है। अनुमानित 116 पदों को भरने यह प्रक्रिया आरम्भ होनी है। इसके लिए विश्वविद्यालय अगले माह विज्ञप्ति जारी कर सकता है। यदि समय पर यह नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न हो जाती है तो विश्वविद्यालय को एक बड़ी राहत मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय में आखिरी बार वर्ष 1989 में नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न हुई थी। इसके बाद वर्ष 2016 में बैकलॉग के पदों पर भर्ती हुई। इस अवधि में सामान्य पदों को न भरने पर विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की बेहद कमी हो गई, जिसके चलते छात्रों के काम आये दिन विश्वविद्यालय में प्रभावित होते आ रहे हैं। हालांकि कर्मचारियों की कमी से निपटने विश्वविद्यालय वैकल्पिक रास्ता निकालता रहा है, परंतु इससे विश्वविद्यालय कार्यप्रणाली में कोई बड़ा सुधार नहीं आया। अब नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति होने पर विश्वविद्यालय की कार्य गुणवत्ता कुछ बेहतर हो सकती है।
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कार्यपरिषद की शक्तियां हुईं कम
बताते हैं कि विश्वविद्यालय ने 32 वर्ष पूर्व जब नियमित नियुक्ति की थी, उसके बाद 1990 में मप्र शासन ने विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की शक्तियां कम कर दीं। लिहाजा विश्वविद्यालय अपने स्तर पर कोई नियमित नियुक्ति नहीं कर पाया। अब मप्र शासन की अनुमति मिलने पर विश्वविद्यालय उक्त नियुक्ति कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है।
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इन पदों पर होगी भर्ती
जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय में पुस्तकालय सहायक वर्ग-1, 2, उप पुस्तकालयाध्यक्ष, सहायक गं्रथपाल, सर्वेक्षण अधिकारी, प्रोग्रामर, पीटीआई, टेलीफोन ऑपरेटर, उपयंत्री, शोध सहायक, चौकीदार, भृत्य आदि पदों पर भर्ती होनी है। सबसे ज्यादा 41 कार्य सहायक के पदों पर विश्वविद्यालय में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी।
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नियमित शिक्षकों की नियुक्ति में रस्साकशी
बताते चलें कि विश्वविद्यालय ने नियमित शिक्षकों के 57 रिक्त पद भरने विगत अप्रैल माह में आवेदन प्राप्त किए हैं। इन प्राप्त आवेदनों की छंटनी प्रक्रिया अभी तक चल रही है। जानकारी है कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में शहडोल विश्वविद्यालय की तरह ऊंचे स्तर की साठगांठ चल रही है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदी, रसायनशास्त्र समेत कुछ अन्य विभागों में रिक्त पदों का रोस्टर चहेतों को स्थान देने के हिसाब से बनवाया गया है। बता दें कि हाल ही में शहडोल विश्वविद्यालय में भी नियमित शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण हुई है, जिसमें जमकर पक्षपात का आरोप कुछ अभ्यर्थियों द्वारा लगाया गया है। इस मामले को लेकर कुछ अभ्यर्थी मप्र उच्च न्यायालय तक पहुँच चुके हैं। बहरहाल, इस तरह के आरोप से बचकर नियमित शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करना विश्वविद्यालय के लिए बड़ी चुनौती होगी।
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