संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र सीधी में लुप्त हो गए गौर की संख्या फिर से बढ़ने लगी है। अभी फिर से आधा दर्जन कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से लाए गए गौर को छोड़ा गया है। पिछले वर्ष भी कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से 35 गौर लाकर छोंडे गए थे। अब राष्ट्रीय संजय टाइगर रिजर्व में गौर की संख्या 41 पहुंच गई है। दरअसल जैव विविधता लौटाने की कवायत के तहत इन्हें टाइगर रिजर्व क्षेत्र के पोंड़ी रेंज में स्वच्छंद विचरण के लिए छोड़ा गया है। दरअसल गौर गो जातीय पशु है।
यह दक्षिण एशिया और पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक बड़ा काले लोम से ढ़का गो-जातीय पशु है। इसकी सबसे बड़ी आबादी भारत में पाई जाती है। गो-जातीय मवेशियों में यह सबसे बड़ा होता है। इसका वजन 6 सौ से 7 सौ किलो होता है। इन्हें एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए ट्रेंकुलाइज करना पड़ता है। संजय टाइगर रिजर्व सीथी में 1995 तक बड़ी संख्या में गौर पाए जाते थे। लेकिन वर्ष 1997 के बाद यहां गौर नहीं दिखे। संजय टाइगर रिजर्व से विलुप्त हो चुके गौर की वापसी के लिए पिछले पांच वर्ष से प्रयास किए जा रहे थे। पिछले वर्ष इनकी वापसी हो पाई।
दरअसल 50 गौर संजय टाइगर रिजर्व सीधी में लाने की मजबूरी मिली थी। जिसमें गत वर्ष 35 गौर लाए गए थे। हाल ही में 6 गौर फिर लाए गए हैं। जिन्हें पोंड़ी रेंज में छोड़ दिया गया है। संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि गौर के पुर्नस्थापन के लिए विशेषज्ञों से क्षेत्र का अध्ययन कराया गया था। जिसमें रिजर्व क्षेत्र का पोंड़ी रेंज इनके लिए अनुकूल पाया गया था। इसलिए इसी क्षेत्र में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से लाए गए गौर को छोड़ा जा रहा है। अभी 9 गौर और संजय टाइगर रिजर्व सीधी में लाए जाएंगे। इनको को पोंड़ी रेंज में ही छोड़ा जाएगा। बताया गया है कि संजय टाइगर रिजर्व में गौर की संख्या बढ़ने के बाद से यहां की शान भी बढ़ रही है। गौर काफी मजबूत एवं खूबसूरत होता है। इस वजह से इसको देखने के लिए पर्यटको की चाहत भी काफी तेजी के साथ बढ़ती है।
गौर अपने-आप में काफी शांत वन्यजीव है। लेकिन खतरा होने पर वह काफी हिंसक भी हो जाता है। अपने नुकीली सौंध से यह किसी की जान भी ले सकता है। यह अवश्य है कि गौर शाकाहारी प्रजापति का जीव है। उसे हरे चारे एवं अन्य फसलें काफी पसंद हैं। कभी कभार यह चारे एवं भोजन की तलाश में आसपास के क्षेत्रों में भी पहुंच जाता है। फिर भी इससे किसी के नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं रहती। गौर के आने के बाद से यदि यह अपने वन क्षेत्र से बाहर निकलता है तो फसलों को नुकसान कर सकता है। इसी वजह से संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के पोंड़ी रेंज में गौर की आवक होने के बाद से ही उसके देखरेख में वन अमला तैनात है। यह किस क्षेत्र की ओर मूवमेंट कर रहे हैं इस पर काफी बारीकी के साथ नजर रखी जाती है।