Big update regarding Sanjay Tiger Reserve, big shock for tourists:सीधी.जिले की पहचान संजय टाइगर रिजर्व का 30 जून को एक पर्यटन सत्र पूरा हो गया। अब आगामी तीन माह तक यहां प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया गया है। अक्टूबर से लेकर जून तक 9 माह में टाइगर रिजर्व का कोर एरिया खुला रहता है जिसमें ऑनलाइन परमिट के माध्यम से देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भ्रमण की अनुमति दी जाती है वर्तमान वर्ष में 30 जून को एक सत्र पूरा हुआ जिसमें 1622 जिप्सी वाहनों ने देशी विदेशी पर्यटकों को वन भ्रमण कराया गया । लगभग 10000 पर्यटकों ने वन भ्रमण का आनंद लिया।
ज्ञात हो कि जुलाई अगस्त और सितंबर माह में वन्यजीवों को स्वतंत्र रूप से विचरण करने के लिए छोड़ दिया जाता है और किसी प्रकार का अवरोध न हो इसलिए बरसात में 3 महीने पर्यटन का कोर क्षेत्र भी बंद रहता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन पर परसिली रिजॉर्ट के साथ अन्य होटल खोले गए हैं जिनकी संख्या सात हो चुकी है। सूत्रों की मांने तो वन विभाग के द्वारा अनेक लापरवाहियां सामने आई जिसमें जिप्सी रोस्टर ना होने की वजह से साल भर पर्यटक अपनी स्वयं की व्यवस्था बनाने में व्यस्त रहे, जबकि अन्य टाइगर रिजर्व में यह सारी व्यवस्थाएं वन विभाग स्वयं देता है। सीधी का संजय टाइगर रिजर्व इस सुविधा को उपलब्ध कराने में सफल नहीं रहा जिसके चलते कई बार सिलानियों को परेशानी भी उठानी पड़ी है।
बताया जाता है कि विभागीय अधिकारियों की लापारवाही के चलते कई बार पर्यटक वाहन के बिना भटकते नजर आए, वहीं कुछ पर्यटकों से निर्धारित दर से अधिक पैसा दलालों के माध्यम से वसूला गया। खास बात है कि एक सीजन में पर्यटन से विभाग को लगभग 50 लख रुपए का राजस्व आता है जो वन प्रबंधन पर्यटन प्रचार-प्रसार एवं वन से संबंधित अन्य कार्यों में खर्च किया जाता है किंतु इस क्षेत्र में किसी प्रकार की सुविधा न होने पर विभाग से किसी प्रकार की सहयोग नहीं दी जाती है और आने वाली पर्यटकों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
व्यवस्था के तहत अनेक विभागों के बड़े अधिकारी जिसमें राजस्व और न्यायपालिका से आए हुए अधिकारी तथा पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी प्रोटोकॉल के तहत वन भ्रमण का आनंद उठाते हैं जिसमें नियमानुसार पर्यटन करने की व्यवस्था विभाग द्वारा दी जाती है। नौ माह तक चले इस पूरे सीजन में यह देखा गया कि प्रोटोकॉल हावी रहा। जबकि आम आदमी के लिए यह सम्पूर्ण व्यवस्था आनलाइन उपलब्ध कराई जाती हैं और विशेष लोगों के लिए सारे नियम दफन हो जाते है। सूत्रों की माने तो पूरे सीजन में लगभग 250 गाडिय़ां प्रोटोकॉल में भेजी गई।
अव्यवस्थाओं का रहा बोलबाला
पुष्ट सूत्रों की मानें तो जिम्मेदार अधिकारियों की लापारवाही के चलते बीते सत्र में अनेक अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहाए अंतिम दो तीन माह में प्रतिदिन 5 से 6 गाडिय़ां प्रोटोकॉल वालों को जाती थी, जिसमें प्रोटोकॉल के स्तर में ना आने वाली अधिकारी भी वन भ्रमण की अनुमति प्राप्त कर लेते थे, साथ ही कुछ अन्य पर्यटक भी इन्हीं के साथ आते जाते नजर आए जिसमें विभाग को काफी राजस्व की हानि हुई। कई बार देखने में आया कि साप्ताहिक अवकाश जो बुधवार को सायं कालीन सफारी में रहता है तब भी पर्यटकों को कोर क्षेत्र में भ्रमण की अनुमति दी गई जबकि ऐसा मध्य प्रदेश के किसी टाइगर रिजर्व में नहीं किया जाता है। जबकि यहां नियम विरुद्ध तरीके से छुट्टी के दिनों में भी पर्यटक बिना परमिट के सफारी करते रहे।