Big revelation in investigation! Lack of this element in Satna and Rewa, hence it is having a bad effect:रीवा। साइटोलाइफ एग्रिटेक प्राइवेट लिमिटेड रीवा और सतना में गांव गांव पहुंच कर मिट्टी परीक्षण कर रहा है। कंपनी के सीईओ भी कैम्प में शामिल होकर किसानों को मृदा परीक्षण की जानकारी दे रहे हैं। रीवा में कैम्प के दौरान मिट्टी परीक्षण में आर्गेनिक कार्बन काफी कम है। ई सी ज्यादा तथा पीएच मान हल्का क्षारीय मिला है। सीईओ ने इस पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यदि कृषि अस्पताल व कृषि परीक्षण केंद्र खुल जाएं तो इससे किसानों की आय बढ़ जाएगी।
इसके अलावा जो उवर्रक फसलों के माध्यम से हमारी थाली में पहुंच जाता है। वह भी हट जाएगा। साइटोलाइफ एग्रिटेक प्राइवेट लिमिटेड मुम्बई के सीईओ डॉ अमित त्रिपाठी ने बताया कि क्रियान्वयन भारतीय कृषि की बुनियादी जरूरत है। उन्होंने कहा कि एफएओ, यूनाइटेड नेशन के अनुसार, आज मनुष्य के स्वास्थ्य का 95 प्रतिशत आधार धरती व पौधों का स्वास्थ्य है।
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एग्रीटेक कंपनी के मिट्टी परीक्षण में हुआ खुलासा
जहाँ वैज्ञानिक जांच की सुविधा होना जरूरी है। किसान की पहुंच में यदि मिट्टी व पौधे की विधिवत क्लिनिकल जांच उपलब्ध हो तो इसके तीन फायदे निश्चित ही किसानों को मिलेंगे। खेती की लागत घटेगी। सही जाँच होगी तो सही उपचार होगा और पौधा अपनी अधिकतम आनुवंशिक क्षमता का प्रदर्शन उत्पादन देकर कर पाएगा। जो अनावश्यक रासायनिक उर्वरक व पेस्टिसाइड हमारे धरती व पौधों में जाकर हमारे ही थाली में वापस आता है और पर्यावरण को काफी नुक़सान पहुंचा रहा है। उससे मनुष्य का स्वास्थ्य सुरक्षित होगा। साइटोलाइफ एग्रिटेक प्रा लि मुम्बई ने यह प्रयास बहुत ही सूझबूझ के साथ प्रारम्भ किया। साइटोलाइफ़ कृषि परीक्षण कैम्प लगाकर गाँव गाँव में मिट्टी व पौधों की जाँच कर समुचित समाधान की ओर किसानों को प्रेरित करते हैं। साइटोलाइफ के कैम्प रीवा जिले के ककलपुर तथा सतना जिले के मरौहा गाँव में आयोजित किए गये। जिसमें सैंकड़ों किसानों ने काफी उत्साह दिखाया और साइटोलाइफ कैम्प के भरपूर फायदे लिए ।
रीवा और सतना की खेतों की मिट्टी में अमूमन ओर्गानिक कार्बन काफी कम है। ई सी ज्यादा तथा पीएच मान हल्का क्षारीय है। मिट्टी की जल धारण क्षमता में काफी कमी पायी गयी है। मिट्टी की संरचना व गठन में भी सुधार जरूरी है। जिससे उत्पादकता को बढ़ाया जा सकेगा। आज आवश्यकता ही है कृषि लागत में नियंत्रण रखते हुए उत्पादकता को बढ़ाया जाये और एक सेहतमंद भोजन हम सभी की थाली में पहुँच सके।