Big act of MLA’s personal representatives:रीवा। पांच साल पूर्व प्रदेश के सबसे बड़े संड्रीज घोटाले को डभौरा सुर्खियों में आया था। जिले का डभौरा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार डभौरा नगर परिषद बनने ओर उसमें हुई नियुक्तियों के चलते सुर्खियों में है। नियुक्ति फर्जीवाड़े की गूंज राजधानी तक पहुंच चुकी है। तत्कालीन सीएमओ के खिलाफ एफाआईआर के साथ ही शासन नगरीय प्रशासन विभाग के अपर सचिव जांच करने रीवा आए थे। मामला अभी जांच में चल रहा है। इस नियुक्ति फर्जीवाड़े में शासन को करीब दो करोड़ से अधिक की क्षति भी पहुंचाई गई है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में डभौरा सहित 7 पंचायतों अकोरिया, मगडोर, गेदुरहा, कोटा, पनवार और लटियार को मिला डभौरा नगरपरिषद का गठन किया गया। इसके लिए पंचायतों के 50 कर्मचारियों के संविलयन का आदेश दिया गया लेकिन जिम्मेदारों ने करीब एक सैकड़ा लोगों की अवैध रूप से न केवल नियुक्ति कर दी अपितु 7 वें वेतन मान में संविलयन भी कर दिया और शासन को दो करोड़ से अधिक की चपत भी लगाई। यहां सबसे बउ़ी बात यह है कि नगरीय प्रशासन के संयुक्त संचालक व नगरपरिषद सीएमओ द्वारा जम कर खेल किया गया। जेडी नगरीय प्रशासन रीवा रामेश्वर सोनी ने जहां अपने बेटे की नियुक्ति कराया वहीं दो कदम आगे बढ़ कर सीएमओ केएन सिंह ने अपने बेटी और बेटी की नियुक्ति कर ली। जेडी व सीएमओ द्वारा अपने संगे संबंधियों की खबर लगते ही विधायक के दो पीए (निज सहायक) भी सक्रिय हो गए।
तत्कालीन सिरमौर विधायक के निज सहायक जावेद मोहम्मद (सरकारी कर्मचारी)अपने दो भाइयों व राम रुचि शुक्ला उफ शर्मा ने अपने बेटे की नियुक्ति करा ली। हो सकता निज सहायकों की इस कूट रचना से विधायक अनजान रहे हों लेकिन जिस तरीके नियुक्ति प्रक्रिया अपनाई गई उससे प्रतीत होता है कि सत्ता प्रभाव में किया है। नियुक्ति फर्जीवाड़े के पीछे विधायक के इन दोनो निज सहायकों को सूत्रधार कहा जाय गलत नहीं होगा। हो सकता है इन दोनो द्वारा नियुक्ति कराने के बाद भी फर्जीवाड़े की तथाकथा लिखी गई हो।
बहती गंगा में धोया हाथ
नवीन नगरपरिषद डभौरा में नियुक्ति की बहती गंगा में विधायक दोनो पीए ने केवल हाथ ही धोया नहाया भी। जावेद मोहम्मद कुरैशी मूलत: छतरपुर के निवासी बताए जाते हैं लेकिन अपने दो भाइयों की फर्जी नियुक्ति कराने के लिए वह डभौरा नगरपरिषद क्षेत्र से फर्जीनिवास प्रमाण पत्र भी बनवा लिए। जावेद के दोनो भाइयों मो. शहरुख कुरैशी व मो.आमिर कुरैशी दोनो के पिता मो.यूनुश कुरैशी तथा रामित्र शुक्ल के बेटे अभिमन्यू शुक्ला मगडौर गांव के निवासी हो गए। इसके बाद नगरपरिषद के कर्मचारी भी बन गए।
विधायक दोनो पीए के सगे संबंधियों का निवास प्रमाण पत्रों की जांच की जानी चाहिए। किस आधार पर इन्हें मगडौर गांव का निवासी बताया गया। निवास प्रमाणपत्र जारी करने वाले संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ भी कारवाई होनी चाहिए। कलेक्टर दर पर इनकी नियुक्ति भी वर्ष 2015 में पंचायत विभाग में दिखा दी गई जबकि तत्समय पंचायतों में कलेक्टर दर पर नियुक्ति के कोई प्रावधान ही नहीं थे। नियुक्ति सूची में निज सहायक जावेद के भाइयों की सीरियल क्रमांक 44 और 48 में तो राममित्र शर्मा के पुत्र का नाम 47 पर उल्लेखित है।