Attractions in this tiger reserve of MP, tourists running:सीधी. जिले के संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र यहां के बाघ हैं। बाघों को देखने के लिए प्रशिक्षित गाइडों की देख-रेख में पर्यटक संभावित स्थानों पर पहुंचते हैं और बाघ को देखते ही रोमांच से भर जाते हैं। संजय टाईगर रिजर्व सीधी में पर्यटन सुविधाओं का विस्तार लगातार हो रहा है। पर्यटको का मुख्य आकर्षण घने जंगलों में स्वच्छंद विचरण करने वाले बाघ हैं। संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में विभागीय अधिकारी मानते हैं कि यहां 45 बाघों की मौजूदगी है। वहीं पर्यटको को मनोहारी दृश्यों का नजारा मिल सके इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रों में पिकनिक स्पाट बनाए गए हैं जिससे पर्यटको को एडवंचर के साथ भरपूर मनोरंजन हो सके। साथ ही एमपीटी एवं संजय टाईगर रिजर्व द्वारा पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दुबरी क्षेत्र के बनास नदी के किनारे वालिंग ट्रायल का निर्माण कराया गया है जहां पर्यटक बनास नदी के वृहंगम दृश्य का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं।
वहीं एक ऐसा पिकनिक स्पाट तैयार किया गया है जिसमें पर्यटक किसी भी महीने में यहां भ्रमण के दौरान साइकिलिंग, जलक्रीड़ा, वर्डवाचिंग एवं स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए नेशनल एजुकेशन की व्यवस्था भी की गई है। स्कूल नेचरल कैंप एवं नेचुरल एजुकेशन के लिए स्कूली छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। संजय टाईगर रिजर्व एरिया के कोर एवं बफर जोन में रहने वाले लोगों को जागरूक करने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में विविध प्रजातियों के पक्षी भी बहुतायत में मौजूद हैं। जो कि पर्यटको को काफी लुभा रहे हैं। पक्षियों को देखने के लिए बड़ी दूरबीन की व्यवस्था भी बनाई गई है। वहीं कई पर्यटक अपने साथ ही दूरबीन लेकर आ रहे हैं।
जिससे उन्हे संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षियों को देखने में किसी भी तरह की अड़चनों का सामना न करना पड़े। संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र का अमला पर्यटको को यहां का भ्रमण कराने के लिए हर समय मुस्तैद रहता है। यहां आने वाले पर्यटको को घने जंगलों का भ्रमण करने के लिए हाथी एवं जिप्सी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही पर्यटको के साथ प्रशिक्षित गाईड भी मौजूद रहते हैं जिनके द्वारा यहां की विशेषताओं के संबंध में बताने के साथ ही दुर्लभ पशु-पक्षियों का अवलोकन भी कराया जाता है।
संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में देश के विविध प्रांतों के साथ ही कुछ विदेशी पर्यटक भी पहुंच रहे हैं। यहां का भ्रमण करने के बाद पर्यटको को काफी एडवंचर के साथ दुर्लभ दृश्यों का नजारा मिलता है। इसी वजह से संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में इजाफा परिलक्षित हो रहा है। बाहर के पर्यटकों को टाईगर रिजर्व क्षेत्र में आने के लिए ऑनलाइन रजिस्टे्रशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इस सुविधा का लाभ भी बाहरी पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी उठा रहे हैं। संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा पर्यटकों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठहरने के और भी इंतजाम बनाए जा रहे हैं। जिससे उन्हे बेहतरीन सुविधा रुकने और खाने की मिल सके।
संजय टाईगर रिजर्व में बाघिन टी-28 अपने 4 शावकों के साथ स्वच्छंद विचरण कर रही है। यह बाघिन टाईगर रिजर्व की आईकॉनिक टाईगर्स हैं। अपनी बहन की मौत के बाद उसने उनके बच्चों को पालकर बड़ा किया। कुछ दिन पहले वह चार शावकों की मम्मी भी बनी हैं। दरअसल सीधी जिले के संजय दुबरी टाईगर रिजर्व में जहां बाघों का कुनबा तेजी के साथ बढ़ रहा है। बाघिन टी-28 ने हाल ही में 4 नन्हें शावकों को जन्म दिया है। अक्सर अपने नन्हें शावकों के साथ टाईगर रिजर्व क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करते हुए देखी जा रही है। संजय टाईगर रिजर्व में अब बाघों की संख्या 45 से अधिक हो गई है। दरअसल बाघिन टी-28 दो साल पहले उस समय चर्चा में आई थी जब मालगाड़ी की टक्कर से घायल बाघिन टी-18 की मौत हो गई थी। उसके चार शावक अनाथ हो गए थे।
शावकों में एक को बाघ टी-26 ने शिकार कर लिया था। इसके बाद संजय टाईगर रिजर्व प्रबंधन बाघिन टी-18 के अनाथ तीन शावकों को सुरक्षा को लेकर चिंतित था। तब बाघिन टी-28 ने अपने तीन शावकों के साथ ही बाघिन टी-18 के तीन शावकों को भी साथ ले लिया और उनका लालन-पोषण करने करने लगी। एक वर्ष से अधिक समय तक बाघिन टी-28 अपने तीन शावकों के साथ ही बाघिन टी-18 के शावकों को लेकर विचरण करती थी। दरअसल सीधी लिजे का संजय टाईगर रिजर्व तुलनात्मक रूप से एक नया टाईगर रिजर्व है। पिछले पांच सालों से लगातार यहां बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। जिसके चलते यह माना जा रहा है कि कुछ वर्षोंे बाद संजय टाईगर रिजर्व में बाघों का साम्राज्य स्थापित हो जाएगा। यहां का पूरा वन क्षेत्र एवं आसपास के इलाके बाघों की दहाड़ हर समय गूंजती सुनाई देगी। संजय टाईगर रिजर्व के अधिकारी भी इस प्रयास में जुटे हुए हैं कि यहां बाघों की संख्या ज्यादा से ज्यादा बढ़े और यह अपने मूर्त रूप में आ सके।