रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष प्रो राजीव दुबे ने अपना पद छोड़ दिया। वरिष्ठ आचार्य प्रो दुबे ने मंगलवार को इस बाबत पत्र कुलपति को सौंप दिया। इस पत्रचार के बाद विवि प्रबंधन में हड़कंप मच गया। मीडिया सूत्र बताते हैं विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय में बी ग्रेड तकनीकी अधिकारी नलिन दुबे ने वरिष्ठ आचार्य का अपमान कर दिया। इस पर भी शीर्ष अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की। अंतत: ग्लानि में आकर उन्होंने यह कदम उठा लिया। अब प्रो दुबे केवल वाणिज्य प्रशासन विभाग में शिक्षकीय कार्य के दायित्व का निर्वहन करेंगे। मामले में बताते हैं कि विगत 16 जुलाई को विश्वविद्यालय के विधि विभाग के सभागार में ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय द्वारा एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्यपाल के प्रतिनिधि कुलपति डॉ राजकुमार आचार्य को पहुंचना था, परंतु किन्हीं कारणोवश वह नहीं पहुंच सके तो उनके चहेते तकनीकी अधिकारी नलिन दुबे पहुंच गए। आरोप है कि कुलपति का प्रतिनिधि बनकर पहुंचे बी ग्रेड तकनीकी अधिकारी ने वहां पहुंचते ही रौब झाडऩा शुरू कर दिया और आधा दर्जन अतिथि विद्वानों को बेवजह फटकार लगा दी। इस पर कई अतिथि विद्वान कार्यक्रम प्रारम्भ होने के पहले ही सभागार से निकल गए। मंच पर केवल तकनीकी अधिकारी नलिन दुबे और ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय के पदाधिकारी बैठे रहे, जिन्होंने कार्यक्रम सम्पन्न कराया।
शीर्ष अधिकारियों ने किया निराश
मीडिया सूत्रों के अनुसार मंगलवार को कुलपति ने वरिष्ठ आचार्य प्रो राजीव दुबे को अपने कार्यालय बुलाया, जहां तकनीकी अधिकारी नलिन दुबे ने उनसे अपमानित लहजे में बात की। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रो दुबे संस्था के शीर्ष अधिकारियों के इस रवैये को देख क्षुब्ध हो गए और मंगलवार को विधि विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इसके बाद संबंधित अतिथि विद्वान वरिष्ठ आचार्य को मनाने पहुंचे, लेकिन उन्होंने विभाग का प्रभार लेने से इंकार कर दिया।
संविदा शिक्षक की सूची में जुड़वा लिया पत्नी का नाम!
मीडिया सूत्र के मुताबिक केवल विधि विभाग ही नहीं, विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी उक्त तकनीकी अधिकारी से आजिज आ चुके हैं। जवाहर लाल नेहरु शोध केंद्र को छोड़कर संबंधित व्यक्ति सुबह 10 बजे से देर शाम तक कुलपति व कुलसचिव कार्यालय के इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं और दूसरों के काम में हस्तक्षेप करते हैं। सूत्रों की मानें तो इस तरह चापलूसी करते हुए उन्होंने अपनी पत्नी का नाम भी बीएड के लिए तय हुई चयनित संविदा शिक्षकों की सूची में जुड़वा लिया है! विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों ने उनकी पांच महीने की चाटुकारिता का यह पुरस्कार दिया है। अब चूंकि बीएड की मान्यता का मामला ही नहीं सुलझ पाया है, इसलिए चयनितों की सूची अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। परिणामत: मामला अभी दबा हुआ है। फिर भी संबंधितजन शीर्ष अधिकारियों को चापलूसी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
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